छह माह से सिविल अस्पताल का डायलिसिस यूनिट बंद
मोगा मोगा के सिविल अस्पताल में पिछले करीब 6 महीनों से एमडी डॉक्टर के तबादला होने के उपरांत डायलिसिस यूनिट पूरी तरह बंद है जिससे सिविल अस्पताल में आए गुर्दा पीड़ित रोगियों को ज्यादा पैसा देकर निजी अस्पतालों में डायलसिस करवाना पड़ता है।
राज कुमार राजू, मोगा : मोगा के सिविल अस्पताल में पिछले करीब 6 महीनों से एमडी डॉक्टर के तबादला होने के उपरांत डायलिसिस यूनिट पूरी तरह बंद है, जिससे सिविल अस्पताल में आए गुर्दा पीड़ित रोगियों को ज्यादा पैसा देकर निजी अस्पतालों में डायलसिस करवाना पड़ता है।
ऐसी ही परेशानी का शिकार हो रहे है मोगा के अकालसर रोड निवासी एक व्यक्ति जिसे चंडीगढ़ के डॉक्टरों ने गुर्दा की बीमारी से पीड़ित पाए जाने पर डायलिसिस करवाने की सलाह दी थी, लेकिन मोगा के सिविल अस्पताल में डायलिसिस की सुविधा न होने पर समस्या झेलनी पड़ रही है।
सेहत सेवाओं में सरकार कर रही है अनदेखी
मोगा के अकालसर रोड निवासी प्रेम कुमार ने बताया कि उनको पिछले कई महीनों से गुर्दा रोग की समस्या थी। वह लुधियाना व चंडीगढ़ के निजी अस्पतालों में महंगे दाम पर इलाज करवाने को मजबूर हो रहे थे। लेकिन गत दिनों ज्यादा समस्या होने से चडीगढ़ के डाक्टरों ने उसे डायलिसिस करवाने की सलाह दी थी। वह मोगा के सिविल अस्पताल से डायलिसिस करवाने गए थे लेकिन वहां डायलसिस यूनिट बंद पड़ा है। उन्होंने बताया कि इतनी मंहगाई के दौर में निजी अस्पतालों से डायलसिस करवाने में बेहद परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
सिविल अस्पताल में होता है फ्री डायलिसिस-
बता दे कि मोगा के सिविल अस्पताल में गुर्दा पीड़ित मरीज को डायलिसिस करवाने के लिए जहां कोई पैसा नहीं देना पड़ता । वही निजी अस्पतालों में उक्त सेवा को लेने के लिए दो गुण पैसा खर्च करना पड़ता है। जिससे कई बार गुर्दा पीड़ित मरीज को दर्द के साथ साथ ज्यादा पैसा देकर ओर भी दर्द झेला जाता है।
डॉक्टर को भेजा गया है ट्रेनिग पर: एसएमओ
एसएमओ डॉक्टर राजेश अत्री ने कहा कि मोगा के सिविल अस्पताल में डायलिसिस करने के लिए दो मशीनें स्थापित की गई है, लेकिन एमडी डॉक्टर के तबादले होने के चलते परेशानी हो रही है, लेकिन अब दो एमडी डॉक्टर तैनात हो चुके हैं जिनमें से डॉक्टर साहिल गुप्ता को ट्रेनिग पर भेजा जा चुका है, छह सप्ताह की ट्रेनिग पूरी होने के उपरांत करीब अप्रैल के दूसरे सप्ताह यूनिट शुरू हो जाएगा।