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सिर पर नौ घड़े रख कांच के टुकड़ों पर किया नृत्य, भवई ने बनाया विश्व रिकॉर्ड

मोगा राजस्थान के प्रसिद्ध लोकनाच भवई को पहली बार शहर के डांस कोरियोग्राफर संजीव जिम्मी के निर्देशन में यूथ फेस्टीवल के मौके पर दशमेश कॉलेज बादल में हुए पीयू के जोनल यूथ फेस्टीवल में सामूहिक डांस के रूप में प्रस्तुत किया था। नृत्यांगनाओं ने सिर पर नौ घड़े रखकर कभी नंगी तलवारों पर कांच के टुकड़ों पर लोहे की कीलों तो कभी गिलास के ऊपर हैरजअंगेज ढंग से लगातार नौ मिनट 42 सेकंड डांस कर विश्व रिकार्ड अटैम्ट किया था। ये रिकॉर्ड इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकार्ड में शामिल किया गया है। गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड के लिए प्रक्रिया चल रही है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Apr 2019 10:06 PM (IST)Updated: Fri, 12 Apr 2019 06:18 AM (IST)
सिर पर नौ घड़े रख कांच के टुकड़ों पर किया नृत्य, भवई ने बनाया विश्व रिकॉर्ड
सिर पर नौ घड़े रख कांच के टुकड़ों पर किया नृत्य, भवई ने बनाया विश्व रिकॉर्ड

सत्येन ओझा, मोगा : राजस्थान के प्रसिद्ध लोकनाच भवई को पहली बार शहर के डांस कोरियोग्राफर संजीव जिम्मी के निर्देशन में यूथ फेस्टीवल के मौके पर दशमेश कॉलेज बादल में हुए पीयू के जोनल यूथ फेस्टीवल में सामूहिक डांस के रूप में प्रस्तुत किया था। नृत्यांगनाओं ने सिर पर नौ घड़े रखकर कभी नंगी तलवारों पर, कांच के टुकड़ों पर, लोहे की कीलों तो कभी गिलास के ऊपर हैरजअंगेज ढंग से लगातार नौ मिनट 42 सेकंड डांस कर विश्व रिकार्ड अटैम्ट किया था। ये रिकॉर्ड इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकार्ड में शामिल किया गया है। गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड के लिए प्रक्रिया चल रही है।

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विश्व रिकॉर्ड हासिल करने वाले संजीव जिम्मी ने बताया कि पंजाब यूनिवर्सिटी में पिछले साल उन्होंने डांस डायरेक्टर के रूप में बच्चों को तैयारी कराई थी। अभी तक भवई सोलो डांस के रूप में प्रस्तुत किया जाता रहा है। पहला मौका था जब उन्होंने यूथ फेस्टिवल में खालसा कॉलेज की छात्राओं के सामने विश्व रिकॉर्ड का अपना आइडिया रखा तो छात्राएं सहज तैयार ही नहीं हो गईं, बल्कि कई महीने उन्होंने धूप में छह से आठ घंटे हर दिन प्रेक्टिस की। इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकार्ड की शर्तें पूरी करते हुए 30 अक्टूबर 2018 को रिकार्ड अटैम्ट किया गया। लंबी प्रक्रिया के बाद बुधवार शाम को संजीव जिम्मी को विश्व रिकॉर्ड में भवई को शामिल करने की जानकारी मिली तो वे व उनकी टीम खुशी से झूम उठी। ग्रुप डांस में दस छात्राओं ने हिस्सा लिया था, जिसमें पांच ने नौ-नौ घड़े सिर पर रखकर डांस किया था, जबकि पांच लड़कियां डांस में अपनी साथियों की मदद कर रही थीं।

राजस्थान में पहले पानी का संकट होने के बाद वहां की महिलाएं सिर पर कई-कई घड़े रखकर दूर दराज क्षेत्रों से पानी लेने जाती थीं। हर दिन के इस कठिन कार्य को भी राजस्थान की महिलाओं ने जीवन के उत्सव का रूप दे दिया था, वे मस्ती से ग्रुपों में गीत गाते हुए पानी भरने जाती थीं, बाद में राजस्थान की उन महिलाओं की यही शैली भवई के रूप में दुनिया के सामने आई।

ये थीं ग्रुप डांस की सदस्य

प्रियंका, निशा, मनमीत कौर, स्वाति, सिमरन, प्रांजल, अनमोल सूद, दिव्या, आरजू, कैफिया (सभी खालसा कॉलेज लुधियाना की छात्रा) डांस के दौरान गीत को अपनी आवाज मोहन ने दी थी, जबकि म्यूजिक रिषभ व पंकज का था।


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