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मेयर के चार साल के कार्यकाल में 11वें कमिश्नर बनेंगे अजय सूद

मोगा : नगर निगम के पहले मेयर अक्षित जैन का कार्यकाल शहर के विकास से ज्यादा निगम कमिश्नर की विदाई के लिए जाना जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Feb 2019 10:48 PM (IST)Updated: Tue, 19 Feb 2019 10:48 PM (IST)
मेयर के चार साल के कार्यकाल में 11वें कमिश्नर बनेंगे अजय सूद
मेयर के चार साल के कार्यकाल में 11वें कमिश्नर बनेंगे अजय सूद

जागरण संवाददाता, मोगा : नगर निगम के पहले मेयर अक्षित जैन का कार्यकाल शहर के विकास से ज्यादा निगम कमिश्नर की विदाई के लिए जाना जाएगा।

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9 मार्च 2015 को अक्षित जैन नगर निगम के मेयर बने थे। उस समय पहले निगम कमिश्नर के रूप में विपुल उज्जल ने पदभार संभाला था। लगभग चार साल के कार्यकाल में निगम ने 10 निगम कमिश्नरों को विदा किया, सबसे लंबा कार्यकाल लगभग सात महीने का अनीता दर्शी का रहा। इस बीच दूसरा सबसे ज्यादा लगभग साढ़े चार महीने का कार्यकाल बिताने वाले निगम कमिश्नर कुलदीप ¨सह वैद का रहा। निगम के सियासी दंगल में वे अपने लगभग साढ़े चार महीने के कार्यकाल में ऐसे मंजे कि लुधियाना जिले के गिल विधानसभा क्षेत्र से साल 2017 में विधानसभा के लिए निर्वाचित हो गए। अन्य निगम कमिश्नरों का कार्यकाल तीन से चार महीने से ज्यादा नहीं रहा। कुछ अधिकारी निगम के सियासी दंगल को देख खुद ही विदा हो गए, कुछ को निगम ने विदा कर दिया। विपुल उज्जल के तबादले के बाद दूसरे निगम कमिश्नर के रूप में पर¨मदर ¨सह गिल ने यहां कार्यभाल संभाला।

उसके बाद निगम कमिश्नर के रूप में जोराम बेदा, जसबीर ¨सह, सोनाली गिरि, जगबीर ¨सह, हरचरण ¨सह, कुलदीप ¨सह वैद्य, जग¨वदर जीत ¨सह ग्रेवाल के बाद अनीता दर्शी निगम की कमिश्नर बनीं। हाल ही में निगम हाउस की बैठक में अनीता दर्शी के लिए सदन ने एक मत होकर उन्हें वापस भेजने का प्रस्ताव पास कर दिया। हालांकि अनीता दर्शी को स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत ¨सह सिद्धू का आशीर्वाद प्राप्त था, लेकिन स्थानीय राजनीति से क्षुब्ध होकर खुद अनीता दर्शी ने ही निकाय विभाग से विदाई मांग ली, उनकी विभाग ने सुन भी ली, उन्हें निगम कमिश्नर से मुक्त कर एडीसी (जनरल) के पद पर तबादला कर दिया गया, उनके स्थान पर निगम के 11वें कमिश्नर के रूप में एडीसी (जनरल) अजय सूद को निगम कमिश्नर बनाया गया है। संभावना है कि वे बुधवार को पदभार संभालेंगे लेकिन सूद की सेवानिवृति कार्यकाल बहुत थोड़ा होने के कारण फिर से नए कमिश्नर की तलाश शुरू करनी पड़ेगी। शहर को हो रहा नुकसान

निगम हाउस में साल-2015 से पारित प्रस्तावों की टैंडर प्रक्रिया तक पूरी नहीं हो सकी है। निगम के पास 40 करोड़ रुपये के लगभग राशि विकास कार्यों के लिए बेलेंस है, लेकिन टेंडर प्रक्रियाएं पूरी न होने के कारण शहर में विकास के काम पूरी तरह ठप हो चुके हैं। शहर पूरी तरह बदहाल हो चुका है। निगम कमिश्नर के रूप में जुलाई 20118 में निगम कमिश्नर के रूप में पदभार संभालने वाली अनीता दर्शी को ज्यादा समय मिल जाने के कारण उन्होंने 2015 से लंबित पड़े विकास कार्यों की टैंडर प्रक्रिया पूरी कराकर विकास कार्यों की उम्मीद जगाई थी, लेकिन विकास कार्य जमीन पर आ पाते, उससे पहले ही उनका भी तबादला कर दिया गया। वे बुधवार को एडीसी (जनरल) का पदभार संभाल रही हैं।


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