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सुविधा केंद्रों में लोगों की दुविधा का मुद्दा सीएम के सामने लाएंगे विधायक डा. हरजोत

मोगा सुविधा केंद्र में कोरियर के नाम पर चल रही हेराफेरी व लोगों को समय पर सुविधा न मिलने के मामले में दैनिक जागरण में लगातार छप रही खबरों के बाद अब कांग्रेस विधायक डा. हरजोत कमल पूरा मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में लेकर आएंगे। विधायक ने कहा है कि कंपनी के साथ एग्रीमेंट में अगर कुछ भी ऐसा है जो लोगों के हित में नहीं है तो अगले एग्रीमेंट में उसे किसी कीमत पर नहीं होने दिया जाएगा। कोरियर के नाम पर पैसे वसूली के मामले की जांच कराई जाएगी। अगर किसी डाक्यूमेंट की डिलीवरी काउंटर से हो रही है तो उसका कोरियर शुल्क वसूलने का कोई औचित्य ही नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 29 Dec 2020 06:17 PM (IST)Updated: Wed, 30 Dec 2020 06:29 AM (IST)
सुविधा केंद्रों में लोगों की दुविधा का मुद्दा सीएम के सामने लाएंगे विधायक डा. हरजोत
सुविधा केंद्रों में लोगों की दुविधा का मुद्दा सीएम के सामने लाएंगे विधायक डा. हरजोत

जागरण संवाददाता, मोगा

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सुविधा केंद्र में कोरियर के नाम पर चल रही हेराफेरी व लोगों को समय पर सुविधा न मिलने के मामले में दैनिक जागरण में लगातार छप रही खबरों के बाद अब कांग्रेस विधायक डा. हरजोत कमल पूरा मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में लेकर आएंगे।

विधायक ने कहा है कि कंपनी के साथ एग्रीमेंट में अगर कुछ भी ऐसा है जो लोगों के हित में नहीं है, तो अगले एग्रीमेंट में उसे किसी कीमत पर नहीं होने दिया जाएगा। कोरियर के नाम पर पैसे वसूली के मामले की जांच कराई जाएगी। अगर किसी डाक्यूमेंट की डिलीवरी काउंटर से हो रही है, तो उसका कोरियर शुल्क वसूलने का कोई औचित्य ही नहीं है। बता दें कि इससे पहले भी कांग्रेस विधायक डा. हरजोत कमल ट्रू नेट से एनआरआइ के टेस्ट करने पर रोक लगाने के मामले के सरकारी आदेश को बदलवा चुके हैं।

गौरतलब है कि सरकारी विभागों से लोगों की जरूरत के किसी भी प्रकार के डाक्यूमेंट हासिल करने के लिए बेहतर सुविधा मिल सके, इसी सोच के साथ पिछली कांग्रेस सरकार में साल 2004 में मोगा से सुविधा केंद्र के कंसेप्ट का शुभारंभ तत्कालीन एडीसी नीलकंठ आवाड़ के कार्यकाल में शुरू हुआ था। मगर, सुविधा केंद्र का संचालन प्राईवेट हाथों में चले जाने के बाद अब यहां लोगों को सुविधा मिलने के नाम पर चक्कर पर चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। तय समय पर लोगों का काम नहीं होता है और फिर भी उन्हें टेंडर की शर्तो के अनुसार पैनल्टी नहीं की जा रही है।

गौरतलब है कि साल 2004 में जब सुविधा केंद्र का शुभारंभ हुआ था। उस समय डीसी की अध्यक्षता वाली कमेटी ने 10-14 हजार रुपये मासिक वेतन पर बड़ी संख्या में युवाओं की भर्ती कर योजना को शुरू किया था। लोग इस कंसैप्ट से काफी खुश थे, क्योंकि निर्धारित समय में उनके काम होने लगे थे। मगर जैसे ही निजी कंपनी को संचालन सौंपकर डीसी के हाथों से अधिकार छीन लिए, उसके बाद से सुविधा केंद्र दुविधा केंद्र बन गए हैं। 'दैनिक जागरण' की पड़ताल में सामने आया है, निजी कंपनी के तहत काम कर रहे मुलाजिमों के वेतन से कंपनी के अधिकारी हर महीने किसी न किसी के नाम पर कटौती कर लेते हैं। कई मुलाजिमों को छह-छह हजार रुपये मासिक भी नहीं मिल पा रहे हैं। यही वजह है कि कंपनी के पास अच्छे ट्रेंड लोग नहीं आ रहे हैं। ऐसे में अक्सर यहां आने वालों को डाक्यूमेंट में कोई न कोई कमी की शिकायत रहती है। इसका खामियाजा सेवा लेने वालों को भुगतना पड़ता है क्योंकि एक बार डाक्यूमेंट हाथ में आने के बाद उसे दोबारा सुधार के लिए अप्लाई करना होता है।

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मामला बेहद गंभीर

विधायक डा. हरजोत कमल का कहना है कि यह मामला बेहद गंभीर है, वे मुख्यमंत्री के साथ हर संभावना पर चर्चा करेंगे। अगर, डीसी की चेयरमैनशिप वाली कमेटी ज्यादा बेहतर थीं तो वह प्रयास करेंगे कि पहले की तरह पुरानी व्यवस्था बहाल हो जाए, ताकि सुविधा केंद्र जिस उद्देश्य के साथ बने थे, वह पूरा हो सके।


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