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दूसरे दिन दो घंटे रहीं मेडिकल सेवाएं ठप, पूर्व मंत्री ने किया समाधान करवाने का प्रयास

मोगा सिविल अस्पताल मोगा की पैथोलॉजिस्ट डॉ. रितू जैन के तबादले के विरोध में किए आह्वान के तहत पीसीएमएस डॉक्टर एसोसिएशन व पैरामेडिकल स्टाफ समेत दर्जा चार कर्मचारियों ने सिविल सर्जन कार्यालय के बाहर शुक्रवार को दो घंटे रोष प्रदर्शन करके पंजाब सरकार के खिलाफ नारेबाजी।

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Aug 2020 10:37 PM (IST)Updated: Fri, 14 Aug 2020 10:37 PM (IST)
दूसरे दिन दो घंटे रहीं मेडिकल सेवाएं ठप, पूर्व मंत्री ने किया समाधान करवाने का प्रयास
दूसरे दिन दो घंटे रहीं मेडिकल सेवाएं ठप, पूर्व मंत्री ने किया समाधान करवाने का प्रयास

राज कुमार राजू, मोगा

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सिविल अस्पताल मोगा की पैथोलॉजिस्ट डॉ. रितू जैन के तबादले के विरोध में किए आह्वान के तहत पीसीएमएस डॉक्टर एसोसिएशन व पैरामेडिकल स्टाफ समेत दर्जा चार कर्मचारियों ने सिविल सर्जन कार्यालय के बाहर शुक्रवार को दो घंटे रोष प्रदर्शन करके पंजाब सरकार के खिलाफ नारेबाजी। वहीं अस्पताल में विभिन्न डॉक्टरो के पास उपचार करवाने के लिए आए मरीजों को इस दौरान मेडिकल सेवाएं ठप रहने के कारण परेशानी झेलनी पड़ी। उन्होंने कहा कि डॉक्टर रीतू का तबादला रद न होने तक संघर्ष जारी रहेगा।

इस दौरान कई गर्भवती महिलाएं खाली पेट अपनी स्कैन करवाने के लिए पहुंची हुई थीं। वहीं बहुत से लोग चमड़ी रोग, एमडी मेडिसिन, सर्जन के अलावा अन्य डॉक्टरों के पास अपना उपचार करवाने के लिए अस्पताल पहुंचे हुए थे। मगर, डॉक्टरों के प्रदर्शन के कारण उन्हें दो से तीन घंटे तक अतिरिक्त इंतजार करना पड़ा। इस मामले को लेकर पूर्व मंत्री डॉ. मालती थापर ने धरनाकारियों से अपनापन जताना का प्रयास किया, लेकिन डॉक्टर एसोसिएशन ने उनको अनदेखा किया।

दूसरे दिन के रोष धरने को संबोधित करते हुए डॉ. गगनदीप सिंह, डॉ. इंद्रवीर सिंह, महिद्रपाल लूंबा, कुलबीर सिंह ढिल्लों, राजेश भारद्वाज व अन्य ने कहा कि सरकार ने पहले ही पंजाब की आर्थिक स्थिति को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। वहीं अब स्थानीय विधायक के इशारे पर डॉक्टर के साथ किए गए अभद्र व्यवहार के प्रति इंसाफ न देकर राजनैतिक दबाव पर डॉक्टर की बदली करना निदनीय है। उन्होंने कहा कि स्थानीय विधायक द्वारा ईमानदारी से कोरोना वायरस के दिनों में ड्यूटी करने वाले सभी सेहत कर्मी योद्धाओं का मनोबल तोड़ा गया है। उन्होंने बताया कि उनको 15 अगस्त के दिन मान-सम्मान मिलने की उम्मीद थी, लेकिन उससे पहले ही उनका अपमान करके जलील किया गया है।

उन्होंने बताया कि भले ही विधायक द्वारा अपना पक्ष जाहिर करते हुए डॉक्टर के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने की बात कही जा रही है, लेकिन अपने समर्थकों के प्रति उनका रवैया बिल्कुल भी बदला हुआ नजर नहीं आया है। उन्होंने कहा कि अगर उनको इंसाफ न मिला, तो सोमवार से इस संघर्ष को तेज किया जाएगा।

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हेडिंग : दो घंटे की हड़ताल ने मरीजों को किया बेहाल काला पीलिया की करवानी थी जांच

गांव चड़िक से पहुंची अमनदीप कौर ने बताया कि उनको पिछले कई दिनों से काला पीलिया के के लक्षण महसूस हो रहे थे। जिसको लेकर वह शुक्रवार सुबह लगभग 8 बजे सिविल अस्पताल पहुंची थी । इस दौरान उन्होंने ओपीडी काउंटर से पर्ची कटवाने के बाद डॉक्टर के पास पहुंचने का प्रयास किया, लेकिन उसी समय डॉक्टर धरने पर चले गए। इसके कारण उसे डॉक्टर को दिखाने तक भूख व प्यास का भी सामना करना पड़ा।

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शूगर की समस्या का करवाना का समाधान

मोगा निवासी कश्मीर कौर ने बताया कि उन्हें शुगर की समस्या है। इस बारे में वह सिविल अस्पताल में एमडी मेडिसिन डॉ. साहिल गुप्ता से उपचार करवा रही थी। इसके कारण वह शुक्रवार सुबह सिविल अस्पताल पहुंची, तो मौके पर डॉक्टर के न होने के कारण उनको ओपीडी परिसर में बैठना पड़ा। इस अवधि के दौरान पूरे ओपीडी परिसर में कोरोना संक्रमण का भी डर लगता रहा।

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चमड़ी रोग की करवानी थी जांच

गांव भगता भाई से मोगा पहुंचे अवतार सिंह ने बताया कि उनको चमड़ी रोग था, जिसको लेकर वह मोगा के सिविल अस्पताल में चमड़ी रोग माहिर डा. जसप्रीत कौर से जांच करवाने लिए पहुंचे थे। मगर, डॉक्टरों के प्रदर्शन के कारण वह कमरे में नहीं थीं। वहीं इस दौरान डॉक्टर के कमरे के बाहर मरीजों का जमावड़ा लगा हुआ था। उन्होंने कहा कि इस दौरान लोग कोरोना वायरस को भुलाकर अपने दर्द का इलाज करवाने में ज्यादा मजबूर नजर आए।

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भूखे पेट बैठना पड़ा चार घंटे

गांव फतेहगढ़ कोरोनाटाना से शुक्रवार सुबह लगभग 8 बजे मोगा सिविल अस्पताल पहुंची गुरप्रीत कौर ने बताया कि वह लगभग 8 माह से गर्भवती है। डॉक्टरों द्वारा समय-समय पर जांच करवाने के अलावा उन्हें अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए कहा था। जिसको लेकर वह खाली पेट अस्पताल में शुक्रवार सुबह 8 बजे पहुंची थी, लेकिन वहां अपनी बारी का इंतजार करते हुए उसको 4 घंटे अस्पताल में ही बैठना पड़ा। उन्होंने बताया कि उसके अलावा अल्ट्रासाउंड करने वाले डॉक्टर के कमरे के बाहर भी करीब 50 से ज्यादा महिलाएं अपनी अपनी जांच करवाने के लिए बैठी हुई थीं।

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उड़ी शारीरिक दूरी की धज्जियां

सिविल अस्पताल में पिछले कई दिनों से चले आ रहे विवाद को लेकर जहां डॉक्टरों द्वारा शुक्रवार को दो घंटे की हड़ताल की गई। वहीं, विभिन्न डॉक्टरों से अपनी जांच करवाने के लिए पहुंचे मरीजों ने मजबूरी में शारीरिक दूरी को भुला दिया। अस्पताल में बैठे लोगों का कहना था कि वे अपने कामकाज से समय निकालकर यहां पहुंचे हैं। मंगर डॉक्टरों के समय पर न मिलने से उन्हें समस्या पेश आई है। उन्होंने बताया कि संक्रमण को देखते हुए डॉक्टर द्वारा पहले ओपीडी में आए मरीजों का उपचार करना चाहिए।


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