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नगर निगम चुनाव : आसान नहीं होगी शिअद के लिए वापसी करना

। निकाय चुनाव की तिथि की घोषणा होते ही जिले में सभी राजनीतिक दलों की सरगर्मियां तेज हो गई हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Jan 2021 10:24 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jan 2021 10:24 PM (IST)
नगर निगम चुनाव :  आसान नहीं होगी 
शिअद के लिए वापसी करना
नगर निगम चुनाव : आसान नहीं होगी शिअद के लिए वापसी करना

सत्येन ओझा.मोगा

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निकाय चुनाव की तिथि की घोषणा होते ही जिले में सभी राजनीतिक दलों की सरगर्मियां तेज हो गई हैं। मोगा में नगर निगम के साथ कोट ईसे खां, निहालसिंह वाला व बधनीकलां नगर पंचायत के चुनाव होंगे। दोबारा इन दोनों निकायों में लौटना शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के लिए बड़ी चुनौती होगा।

सूबे की सत्ता कांग्रेस के पास है, भाजपा के साथ अकाली दल का गठबंधन टूट चुका है। इस बार अकाली दल को इस दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ेगा, वहीं बधनीकलां में नाटकीय ढंग से कांग्रेस ने अपनी नगर पंचायत बनाई थी, जबकि निहालसिंह वाला में भी कांग्रेस की सत्ता थी। माना जा रहा है कि दोनों ही नगर पंचायतों में इस बार कांग्रेस को दोबारा लौटने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी, चुनौतियां कम हैं। सूबे में सत्ता है, कांग्रेस के लिए ये सकारात्मक बात है।

मोगा नगर निगम के चुनाव पहली बार मार्च 2015 में हुए थे, तब अकाली -भाजपा का गठबंधन था। पहली निगम में ही गठबंधन भारी बहुमत के साथ निगम में पहुंचा । 17 प्रत्याशी शिअद के जीते थे, नौ प्रत्याशी भाजपा की टिकट पर जीतकर नगर निगम में पहुंचे थे। एक सीट कांग्रेस के हिस्से में आए थे। 50 वार्डों वाले नगर निगम में 23 प्रत्याशी आजाद चुनाव जीते थे। आम आदमी पार्टी निगम में अपना खाता भी नहीं खोल सकी थी। बाद में भाजपा से पार्षद बने गुरप्रीत सिंह सचदेवा ने आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए थे।

दूसरी बार हो रहे नगर निगम के चुनाव में राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल चुके हैं। अकाली-भाजपा गठबंधन अलग हो चुका है। सूबे की सत्ता अब कांग्रेस की है। कांग्रेस के दोनों गुट अपने प्रत्याशियों के आवेदन करा चुके हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस प्रत्याशियों की पहली सूची एक दो दिन में आ जाएगी। भाजपा की कोर कमेटी की बैठक सोमवार को हो रही है। भाजपा के प्रत्याशियों की सूची जारी होने में अभी देरी हो सकती है। शिअद अपने सभी प्रत्याशियों की सूची तैयार कर हाईकमान को भेज चुका है, इसकी घोषणा होना बाकी है। निहालसिंह वाला में रहा कांग्रेस का कब्जा

निहाल सिंह वाला नगर पंचायत में कुल 11 वार्ड हैं। पिछली बार नगर पंचायत राजनीति के पर कांग्रेस पार्टी के कांग्रेस विधायक दर्शन सिंह बराड़ बराड़ गुट के इंद्रजीत सिंह जोली नगर पंचायत के अध्यक्ष बने थे। पुरानी नगर पंचायत में कांग्रेस के छह, अकाली दल के पांच पार्षद चुने गए थे।

कांग्रेस के यहां दो गुटों की लड़ाई चरम पर है। एक गुट का नेतृत्व विधायक दर्शन सिंह बराड़ कर रहे हैं, जबकि दूसरे गुट का नेतृत्व जिला कांग्रेस के कार्यकारी प्रधान महेश चंद्र सिंह निहाल सिंह वाला करते हैं। राजनीतिक गलियारों की चर्चा पर विश्वास करें तो पिछले चुनाव में यहां पर कांग्रेस विधायक दर्शन सिंह बराड़ और अकाली नेता पूर्व मंत्री जत्थेदार तोता सिंह ने परदे के पीछे हाथ मिला लिया था। उसकी वजह थी कि महेशइंदर गुट के प्रत्याशी यहां बुरी तरह हारे थे। नगर पंचायत के लिए दर्शन सिंह बराड़ गुट के इंद्रजीत सिंह जोली विजयी होकर नगर पंचायत अध्यक्ष बने थे। चर्चा है कि इस बार भी यह गठजोड़ जारी रह सकता है। महेशइंदर सिंह व विधायक दर्शन सिंह बराड़ के बीच घमासान में उनके बेटों के कूद जाने के बाद दोनों के बीच दूरियां और ज्यादा बढ़ी हैं। अकाली दल जीतकर भी हारा

बधनीकलां नगर पंचायत क्षेत्र में कुल 13 वार्ड हैं। पिछले चुनाव में यहां से अकाली दल के आठ पार्षद विजयी हुए थे। चार पार्षद कांग्रेस के जीते थे। दो पार्षद आजाद चुनाव जीते थे। बधनीकलां नगर पंचायत का इतिहास बड़ा ही रोचक है। अकाली दल यहां आधी से ज्यादा सीटें जीतकर प्रबल बहुमत हासिल तो किया लेकिन कांग्रेस ने पंचायत अध्यक्ष के चुनाव से पहले ऐसा दांव चला कि शिअद यहां जीतकर भी हार गया।

कांग्रेस ने यहां पर ऐसा दांव चला के 13 में से 8 पार्षद जीतने के बावजूद नगर पंचायत अध्यक्ष का ताज कांग्रेस के समर्थन से आजाद उम्मीदवार के रूप में जीतकर नगर पंचायत में पहुंचे बलदेव सिंह धालीवाल के सिर बंधा। जबकि दूसरे आजाद प्रत्याशी रामनिवास नगर पंचायत के उपाध्यक्ष बने।

सूत्रों का कहना है नगर पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के समय कांग्रेस के रणनीतिकारों ने अकाली दल की सीट पर जीते दो पार्षदों को अपने पाले में मिला लिया। दोनों आजाद प्रत्याशी को भी कांग्रेस में शामिल कर लिया। ऐसा होते ही पंचायत में अकाली दल का राजनीतिक गणित गड़बड़ा गया। जो अकाली दल पूरी शान के साथ जीतकर नगर पंचायत अध्यक्ष बनाने की तैयारी कर रहा था उसे बड़ा झटका लगा। कांग्रेस के समर्थन से आजाद प्रत्याशी बलदेव सिंह धालीवाल अध्यक्ष व रामनिवास उपाध्यक्ष बने।

कोट ईसे खां नगर पंचायत

कोट ईसे खां ग्राम पंचायत को तत्कालीन कैबिनेट मंत्री जत्थेदार तोतासिंह ने भंग कराकर इसे नगर पंचायत के रूप में अपग्रेड किया था। नगर पंचायत के लिए यहां पहली बार चुनाव 2015 में हुए थे। अकाली दल के 13 में से 12 उम्मीदवारों ने जीतकर प्रचंड बहुमत के साथ अपनी नगर पंचायत बनाई थी। एक प्रत्याशी आजाद प्रत्याशी क रूप में चुनाव जीता था, कांग्रेस यहां पर खाता भी नहीं खोल सकी थी।

उस समय अश्विनी कुमार पिटू नगर पंचायत के पहले अध्यक्ष बने थे। उस समय ये विधानसभा क्षेत्र भी अकाली दल के पास था। तोता सिंह यहीं से विधायक थे। अब यहां पर कांग्रेस के सुखजीत सिंह काका लोहगढ़ विधायक हैं। सूबे की सत्ता भी बदली हुई थी, ऐसे में यहां से अकाली दल के लिए वापसी करना आसान नहीं होगा। पूर्व अध्यक्ष अश्वनी कुमार पिटू ने चुनाव की घोषणा के साथ ही शनिवार को सभी संभावित प्रत्याशियों के साथ बैठकर पूरी योजना तैयार कर ली है, माना जा रहा है कि एक दो दिन में अकाली नेता जत्थेदार तोता सिंह प्रत्याशियों की घोषणा कर सकते हैं।


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