राजेन्द्रा एस्टेट में सड़क निर्माण : निगम के रिकार्ड में गलत निकला मेयर व कमिश्नर का दावा
। राजेन्द्रा एस्टेट कालोनी में सड़कें बनाने के मामले में मेयर नीतिका भल्ला व निगम कमिश्नर सुरिदर सिंह का दावा गलत निकला।
सत्येन ओझा.मोगा
राजेन्द्रा एस्टेट कालोनी में सड़कें बनाने के मामले में मेयर नीतिका भल्ला व निगम कमिश्नर सुरिदर सिंह का दावा गलत निकला। राजेन्द्रा एस्टेट में सड़कें निगम नहीं कालोनाइजर बना रहा है। इसकी पुष्टि निगम के एसई (बिल्डिंग एंड रोड्स) रंजीत सिंह ने की, उन्होंने बताया कि निगम अभी राजेन्द्रा एस्टेट में काम कराने के लिए अधिकृत नहीं है न ही सड़क निगम वहां बना रहा है।
दैनिक जागरण के माध्यम से सोमवार को सड़कों का सच सामने आने के बाद स्थानीय निवासी कम चौड़ी बन रहीं सड़कों को लेकर कालोनाइजर के खिलाफ भड़क गए। 30 फीट की सड़कों पर सिर्फ 12 फीट में प्रीमिक्स बिछाया जा रहा है। कुछ निवासियों ने इस मामले में राजेन्द्रा कालोनी वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष को साफ तौर पर चेतावनी दी है कि या तो वह कालोनाइजर पर दबाव बनाकर सड़क पर पूरी चौड़ाई में प्रीमिक्स बिछवाएं, अन्यथा उन्हें फिर से कालोनाइजर के खिलाफ आंदोलन करना पड़ेगा।
क्या है मामला
राजेन्द्रा एस्टेट के लिए करीब साढ़े तीन दशक पहले कालोनाइजर की ओर से 29 एकड़ क्षेत्र में कालोनी विकसित करने का प्रस्ताव पुडा को दिया था, नियमानुसार कालोनी में एटीपी प्लांट, शापिग काम्पलेक्स, कम्युनिटी हाल न बनाने के कारण कालोनाइजर पर करीब एक करोड़ से ज्यादा का जुर्माना ठोक दिया था। क्योंकि कालोनी स्वीकृत होने से पहले ही वहां प्लाटिग शुरू कर दी गई थी, जबकि कालोनी के नियमों का पालन नहीं किया गया था। साल 2011 में एक नोटिफिकेशन आया था, जिसके अनुसार जो क्षेत्र नगर निगम में आ गया था, उसे पुडा से बाहर निकाल दिया गया था। एप्रूवल देने का अधिकार अब निगम के पास है।
पुडा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कालोनाइजर को अब कुल विकसित क्षेत्र का ड्राफ्ट तैयार कर नए सिरे से सीएलयू के लिए निगम को आवेदन करना होगा।आवेदन के साथ ही एसटीपी का प्लान भी जाएगा।अगर कालोनाइजर एसटीपी प्लांट नहीं लगाती है, तो उसे निगम से उनके सीवरेज में कालोनी का सीवेज डालने के लिए एनओसी लेनी होगी, तभी कालोनी को स्वीकृत किया जा सकता है। इस समय निगम का अपनी सीवरेज सिस्टम ही ओवरलोड है, ऐसे में निगम किसी बड़ी कालोनी को अपनी लाइन में सीवेज के लिए एनओसी देगी इसकी उम्मीद कम है, क्योंकि फोकल प्वाइंट के मामले में भी वहां निगम कमिश्नर के हस्तक्षेप से अपना एसटीपी लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, ताकि निगम पर सीवेज का भार कम हो सके। सूत्रों का कहना है कि निगम में अगर सीएलयू के लिए नए सिरे से आवेदन आता है तो सीएलयू फीस के रूप में निगम को कई करोड़ रुपये का आर्थिक लाभ होगा।
राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते हाल ही में कालोनी के दो एकड़, पांच एकड़ व साढ़े सात एकड़ की फीस जमा कराकर एप्रूव्ड घोषित कर दिया है, जबकि एप्रूवल का प्रस्ताव निगम के पास अभी तक डायरेक्टर आफिस से मंजूर होकर नहीं आया है। डायरेक्टर आफिस से प्रस्ताव मंजूर होने के बाद हाउस में मंजूरी रखी जाएगी। हाउस पर फैसला देगा उसके बाद ही निगम कालोनी के अंदर विकास के काम करा सकती है।
दीवार तोड़ने के मामले में नहीं की कार्रवाई
इस बीच में कालोनाइजर ने राजेन्द्रा एस्टेट वेलफेयर एसोसिएशन के कुछ पदाधिकारियों, निगम अधिकारियों व कुछ राजनीतिक लोगों की मदद से राजेन्द्रा एस्टेट के पिछले हिस्से में कृषि भूमि में कालोनी को भी राजेन्द्रा एस्टेट की दीवार तोड़कर मिला लिया है। मामला सोमवार को सामने आने के बावजूद नगर निगम ने इस मामले में किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की।
स्थानीय निवासियों ने दी चेतावनी
उधर, सच्चाई सामने आने के राजेन्द्रा एस्टेट के कुछ निवासियों ने एसोसिएशन के अध्यक्ष को सड़क की कम चौड़ाई व घटिया सामग्री को लेकर जिस प्रकार से चेतावनी दी है, उससे साफ है कि आने वाले दिनों में ये मुद्दा गरम रह सकता है। पुडा के अधिकारियों के अनुसार ये कई करोड़ रुपये के राजस्व को चूना लगाने का प्रयास है।