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एसडीएम पर भी गिर सकती है जमीन अधिग्रहण मामले में गड़बड़ी की गाज

मोगा हाईवे के लिए जमीन अधिग्रहण मामले में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां सामने आने पर तहसीलदार व नायब तहसीलदार का तबादला होने के बाद अब इसकी आंच एसडीएम पर भी गिर सकती है। सूत्रों को कहना है कि जिन कृषि योग्य जमीनों की दो माह में बड़े स्तर पर खरीद हुई थी उसमें से ज्यादातर खरीदी जमीन की गिरदावरी बदलकर उनमें जमीन गैरमुमकिन (कृषि योग्य नहीं प्लाटिग) दिखा दी थी। गिरदावरी में किया गया बदलाव अधिकारियों की जानकारी में था फिर भी रजिस्ट्रियां कर दी गई। गिरदावरी को सच साबित करने के लिए खरीदी गई जमीनों में प्लाटिग कर नींव भी भरवा दी गई थी ताकि उसे कॉमर्शियल बनाकर सरकार से ज्यादा मुआवजा लिया जा सके।

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Jun 2020 11:40 PM (IST)Updated: Wed, 17 Jun 2020 11:40 PM (IST)
एसडीएम पर भी गिर सकती है जमीन अधिग्रहण मामले में गड़बड़ी की गाज
एसडीएम पर भी गिर सकती है जमीन अधिग्रहण मामले में गड़बड़ी की गाज

सत्येन ओझा, मोगा

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हाईवे के लिए जमीन अधिग्रहण मामले में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां सामने आने पर तहसीलदार व नायब तहसीलदार का तबादला होने के बाद अब इसकी आंच एसडीएम पर भी गिर सकती है। सूत्रों को कहना है कि जिन कृषि योग्य जमीनों की दो माह में बड़े स्तर पर खरीद हुई थी, उसमें से ज्यादातर खरीदी जमीन की गिरदावरी बदलकर उनमें जमीन गैरमुमकिन (कृषि योग्य नहीं, प्लाटिग) दिखा दी थी। गिरदावरी में किया गया बदलाव अधिकारियों की जानकारी में था, फिर भी रजिस्ट्रियां कर दी गई। गिरदावरी को सच साबित करने के लिए खरीदी गई जमीनों में प्लाटिग कर नींव भी भरवा दी गई थी, ताकि उसे कॉमर्शियल बनाकर सरकार से ज्यादा मुआवजा लिया जा सके।

सूत्रों का कहना है कि तहसील स्तर पर ये सब करते हुए अधिकारियों के दिमाग में बरनाला-जालंधर हाईवे के लिए धर्मकोट क्षेत्र में हुआ घोटाला याद था। यहां पर जिस नायब तहसीलदार का घोटाले में नाम आया था, उसके खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय सरकार ने उसे इनाम के रूप में नायब से प्रमोट कर तहसीलदार बना दिया था। वो मामला अभी भी विजिलेंस के स्तर पर लंबित है, लेकिन जांच की गति पर सियासी ब्रेक लग चुके हैं।

सूत्रों का कहना है कि अभी तक की जांच में जो मामले सामने आए हैं, उनमें बड़ा खेल पटवारियों व कानूनगो के माध्यम से कराया गया है। नियमों के खिलाफ जाकर पहले पावर ऑफ अटॉर्नी कराई गई। बाद में रजिस्ट्रियों के साथ ही इंतकाल भी मंजूर कर लिए गए। ये पूरा मामला बठिडा-अमृतसर हाईवे को बाघापुराना-मोगा-धर्मकोट से होते हुए जालंधर-जम्मू नेशनल हाईवे 105 के लिए जमीन अधिग्रहण में किया गया। साझी जमीनों के पार्टीशन (तकसीम) तहसील अधिकारियों ने 15-15 दिन में ही मंजूर कर लिए थे।

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हो चुका है 100 करोड़ से ज्यादा का घोटाला

इससे पहले नेशनल हाईवे-71 के लिए मोगा जिले से गुजरने वाली सड़क के लिए धर्मकोट व निहालसिंह वाला क्षेत्र में जमीन अधिग्रहण (जमीन एक्वायर) के मामले में हुए लगभग सौ करोड़ से ज्यादा का घोटाला विजिलेंस ब्यूरो की प्रारंभिक जांच में आया था। उसके बाद इसी साल जनवरी में मामले की नियमित जांच शुरू कर दी गई थी। उस समय भी खेती की जमीनों को आबादी वाली व कॉमर्शियल जमीन बताकर सरकार से ज्यादा मुआवजा हासिल कर लिया था। कुछ पंचायतों को भी हेराफेरी से ज्यादा राशि मिल गई थी। बाद में पंचायत को मिली राशि से गांव का विकास कागजों में ही करके अधिकारियों ने एक और नया घोटाला कर डाला था।

ग्राम पंचायत धूड़कोट कलां को मिले 56 लाख रुपये के मुआवजा के इसी प्रकार से दुरुपयोग करने के मामले में तत्कालीन बीडीपीओ जसप्रीत सिंह व पंचायत सचिव व तत्कालीन सरपंच के खिलाफ थाना अजीतवाल में केस दर्ज कराया गया था। पूर्व सांसद के गोद लिए गांव फतेहगढ़ कोरोटाना को नौ करोड़ रुपये की राशि मुआवजा के रूप में मिली थी, उसका भी हिसाब नहीं मिला।


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