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काम की खबर: बारिश की मार से ऐसे बचाया गेहूं, किसानों के लिए वरदान साबित होगी ये तकनीक

यूनिवर्सिटी के वीसी डा सतबीर सिंह गोसल ने कहा कि अध्ययन में यह बात सामने आई है कि इन खेतों में गेहूं की फसल को कोई नुकसान नहीं हुआ है। इसके विपरीत जिन खेतों में पारंपरिक तरीके से बिजाई की गई वहां फसल को काफी नुकसान हुआ है।

By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaPublished: Tue, 04 Apr 2023 03:45 AM (IST)Updated: Tue, 04 Apr 2023 03:45 AM (IST)
काम की खबर: बारिश की मार से ऐसे बचाया गेहूं, किसानों के लिए वरदान साबित होगी ये तकनीक
काम की खबर: बारिश की मार से ऐसे बचाया गेहूं, किसानों के लिए वरदान साबित होगी ये तकनीक

मोगा, जागरण टीम। बेमौसम की बारिश, ओलावृष्टि और तेज आधी की मार से गेहूं की फसल को बचाने के लिए धान की पराली सबसे बड़ा सुरक्षाचक्र बनकर सामने आई है। पराली ने हजारों किसानों की फसल को मौसम की मार से बचा लिया। लुधियाना स्थित पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (पीएयू) के ताजा अध्ययन ने इस पर मुहर लगा दी है कि भविष्य में पराली की मदद से गेहूं की फसल को मौसम की मार से बचाया जा सकता है।

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अध्ययन में सामने आया है कि जिन किसानों ने गेहूं की बिजाई से पहले अपने खेत में धान की पराली को जोत दिया था या कहें कि पराली को कुतर कर जमीन में मिला दिया था, उन खेतों में तेज वर्षा, ओलावृष्टि और आंधी का फसल पर कोई असर नहीं हुआ। इसके विपरीत जिन खेतों में पारंपरिक तरीके से गेहूं की बिजाई की गई, वहां फसलें बिछ गई हैं।

यूनिवर्सिटी की टीम ने मोगा, फिरोजपुर, तरनतारन, अमृतसर, कपूरथला, लुधियाना और जालंधर जिले में उन किसानों के खेतों में दौरा किया जिन्होंने गेहूं की बिजाई सरफेस सीडिंग-कम-मल्चिंग (पराली को कुतर कर जमीन में मिला देना या खेत में जोत देना) तकनीक से की।

यूनिवर्सिटी के वीसी डा. सतबीर सिंह गोसल ने कहा कि अभी तक के अध्ययन में यह बात सामने आई है कि इन खेतों में गेहूं की फसल को कोई नुकसान नहीं हुआ है। इसके विपरीत जिन खेतों में पारंपरिक तरीके से बिजाई की गई वहां फसल को काफी नुकसान हुआ है। यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों के अनुसार, जिन खेतों में पराली को कुतर कर जमीन में मिला दिया था, उन खेतों में पानी को जल्दी सोख लिया और फसल को नुकसान नहीं हुआ।

17 एकड़ में से 15 एकड़ में पराली को खेतों में मिलाकर और दो एकड़ में पारंपरिक तरीके गेहूं की बिजाई की गई। जिस रकबे में पराली जमीन में मिलाई गई, वहां गेहूं की फसल पर मौसम की मार नहीं पड़ी। (किसान जसविंदर सिंह कंबोज, गांव मेहताबगढ़, फतेहगढ़ साहिब)

मैंने 20 एकड़ रकबे में पराली को खेतों में मिलाकर गेहूं की फसल की बिजाई की थी। थोड़ी सी फसल गिरी लेकिन फिर खड़ी हो गई। मेरी फसल को खराब मौसम भी नुकसान नहीं पहुंचा पाया। (कर्मपाल सिंह, बोड़ाकलां, पटियाला)

मैंने 10 एकड़ रकबे में पराली को जमीन में मिलाकर और 12 एकड़ में पारंपरिक तरीके से गेहूं की बिजाई की। वर्षा के बावजूद उस फसल को नुकसान नहीं हुआ, जिसमें पराली मिलाई गई थी। (परमिंदर सिंह, गांव पड़ोदी, लुधियाना)


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