सावन में श्रद्धा के साथ सतर्कता का भी रखें ध्यान
मोगा सावन माह भगवान शिव को प्रिय है। इस बार सावन छह जुलाई से प्रारंभ हो रहा है और तीन अगस्त तक रहेगा। किंदू पंचांग का यह पांचवा महीना होता है जिसे श्रावण या सावन के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन में पड़ने वाले सोमवार के दिन भोले शंकर की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
तरलोक नरूला, मोगा
सावन माह भगवान शिव को प्रिय है। इस बार सावन छह जुलाई से प्रारंभ हो रहा है और तीन अगस्त तक रहेगा। किंदू पंचांग का यह पांचवा महीना होता है, जिसे श्रावण या सावन के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन में पड़ने वाले सोमवार के दिन भोले शंकर की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इसलिए धार्मिक दृष्टि से सावन सोमवार का विशेष महत्व होता है।
सावन के सोमवार को शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। मगर, इस बार कोरोना महामारी के मद्देनजर भक्तों को पूजा सहित सतर्कता भी बरतनी होगी। भले ही दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे कोरोना के प्रकोप से मुक्त होने के लिए भगवान की पूजा से उत्तम कोई मार्ग नहीं, लेकिन भक्ति के साथ लोगों को सरकारी आदेशों का भी ध्यान रखना होगा। ताकि इस महामारी से हम बच सके। इस बारे में मंदिर के पुजारियों का कहना है कि कम से कम समय में पूजा कर भक्त घर पर ही व्रत की कथा करें।
इस बारे में प्राचीन शिवाला मंदिर के पुजारी अक्षय शर्मा ने बताया कि कोरोना महामारी का प्रकोप अभी घटा नहीं है। इसलिए सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन करना उचित है। भक्त इस बार सावन के प्रथम सोमवार को घर के नजदीक के ही मंदिर में शिवलिग का अभिषेक करें और घर पर जाकर ही व्रत की कथा का उच्चारण करे। घर से ही दूध मिश्रित जल लेकर आएं, मास्क लगाकर व फिजिकल डिस्टेंस का पालन करते हुए अभिषेक करे।
प्राचीन सनातन धर्म शिव मंदिर पवन गौतम ने कहा कि भले ही मंदिर खुल गए हैं। मगर, महामारी के कारण अभी भी भक्तों का पहले जैसा माहौल नहीं बना है। सावन भगवान शिव का अतिप्रिय मास है। सावन के सभी सोमवार के व्रत वर्ष भर के व्रतों का फल देते है। मगर, इस बार आस्था के साथ-साथ भक्तों को सतर्कता का भी ध्यान रखना होगा ताकि हम अपना व दूसरों का बचाव कर सकें। सरकार द्वारा दिए गए आदेशों को ध्यान में रखते हुए मंदिर कमेटी द्वारा भक्तों को पूजन सामग्री नहीं दी जाएगी। भक्तों से भी अनुरोध है कि वे शिवलिग का जल से अभिषेक करें और कम से कम समय में पूजन करके अपने घर जाएं। मंदिर के प्रवेश द्वार पर रखे सैनिटाइजर का प्रयोग करे व मुंह पर मास्क जरूर पहनें।