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आइएसएफ कालेज में दुर्गा अष्टमी पर करवाया हवन-यज्ञ

आइएसएफ कालेज आफ फार्मेसी परिसर में स्थित मंदिर में चैत्र नवरात्र की अष्टमी पर श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ किया गया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Apr 2021 11:12 PM (IST)Updated: Tue, 20 Apr 2021 11:12 PM (IST)
आइएसएफ कालेज में दुर्गा अष्टमी  पर करवाया हवन-यज्ञ
आइएसएफ कालेज में दुर्गा अष्टमी पर करवाया हवन-यज्ञ

संवाद सहयोगी,मोगा

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आइएसएफ कालेज आफ फार्मेसी परिसर में स्थित मंदिर में चैत्र नवरात्र की अष्टमी पर श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ किया गया। इस दौरान हवन-यज्ञ भी करवाया गया। इसके उपरांत कंजक पूजन किया गया।

पंडित रामचंद्र की ओर से पूरे विधि-विधान के साथ गणपति पूजन, नवग्रह पूजन, कलश पूजन व ज्योति पूजन करवाया गया। कालेज के चेयरमैन प्रवीण गर्ग, सचिव जनेश गर्ग, डा. मुस्कान गर्ग, डायरक्टर डा. जीडी गुप्ता, वाइस प्रिसिपल डा. आरके नारंग एवं फैकल्टी स्टाफ ने हवन-यज्ञ में पूर्णाहुति डालीं। पंडित राम चंद्र ने बताया कि कालेज में स्थापित मंदिर में नवरात्र के उपलक्ष्य में रोजाना दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जा रहा है। प्रतिदिन हवन-यज्ञ करवाया जा रहा है। मां दुर्गा की आरती के बाद कंजक पूजन किया गया और प्रसाद वितरित किया गया। संस्था के चेयरमैन प्रवीण गर्ग, सचिव इंजी. जनेश गर्ग, डा. मुस्कान गर्ग, डायरेक्टर डा. जीडी गुप्ता, वाइस प्रिसिपल डा. आरके नारंग ने सभी को दुर्गा अष्टमी की बधाई दी। मां दुर्गा का अष्टम रूप है महागौरी : पवन गौड़ श्री सनातन धर्म हरि मंदिर में श्रद्धालुओं ने की दुर्गा स्तुति

संवाद सहयोगी,मोगा

स्थानीय श्री सनातन धर्म हरि मंदिर में चैत्र नवरात्र के उपलक्ष्य में श्रद्धालुओं ने मां दुर्गा की स्तुति की। महागौरी की उपासना नवरात्र के आठवें दिन करने का विधान है। मां के इस रूप की स्तुति करने से मनुष्य की प्रवृति सत्य के मार्ग पर चलने को प्रेरित होती है।

मां हर परिस्थिति में धैर्य बनाए रखने का संदेश देती है। मंदिर के पुजारी एवं कथा वाचक पवन गौड़ ने कहा कि मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायी हैं। मां अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती हैं। नव दुर्गा की पूजा करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है और साथ मे कई जन्मों के पाप खत्म होते हैं। नवरात्र में मां की पूजा करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। व्यक्ति जिस रूप में नव दुर्गा की पूजा करता है उसी रूप में फल प्राप्त करता है। मां के दिव्य स्वरूप का ध्यान हमें धैर्य और संतोष प्रदान करता है। मां का ध्यान जीवन के कठिन समय में भी हमारे भीतर आशा व विश्वास की ज्योति का प्रकाश फैलाता है।


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