हर्बल फैक्ट्री के सैंपल फेल, दवा में सिंथेटिक ड्रग मिलाने की आशंका
मोगा : करीब दो माह पहले मजिस्टिक रोड पर स्थित जेपी हर्बल फार्मेसी आयुर्वेदिक
संवाद सहयोगी, मोगा : करीब दो माह पहले मजिस्टिक रोड पर स्थित जेपी हर्बल फार्मेसी आयुर्वेदिक फैक्ट्री में तीन जिलों की एसटीएफ ने दबिश की थी। इस दौरान एसटीएफ ने स्थानीय ड्रग और आयुर्वेदिक विभाग की टीम को बुलाकर फैक्ट्री में रखे गए रॉ मट्रीरियल की सैंप¨लग करवाकर पाउडर के कई ड्रमों को सील कर दिया था। उक्त सैंप¨लग की रिपोर्ट में यह साफ हो गया है कि आयुर्वेदिक दवा की आड़ में एलोपेथिक दवाइयां मिलाकर बेची जा रही है, जिसके चलते ड्रग विभाग ने फैक्ट्री मालिक तथा मौके पर बातचीत करने वाले फैक्ट्री मालिक के बेटे के खिलाफ अदालत में केस दायर करने के लिए चंडीगढ़ में उच्चधिकारियों को लिखकर भेज दिया।
ड्रग इंस्पेक्टर सोनिया गुप्ता ने बताया कि सैंप¨लग की रिपोर्ट आ गई है और आयुर्वेदिक पाउडर में एलोपैथिक मेडिसन पाई गई है, जिसके चलते फैक्ट्री संचालक और मालिक के खिलाफ ड्रग एंड कोस्मेटिक एक्ट के तहत केस दायर करने की कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए उन्होंने चंडीगढ़ में विभाग के उच्चाधिकारियों को लिखकर भेज दिया है।
अधिकारिक जानकारी के अनुसार अभी ड्रग विभाग द्वारा की गई सैंप¨लग की ही रिपोर्ट आई है, जबकि आयुर्वेदिक विभाग की ओर से की गई सैंप¨लग की रिपोर्ट आना अभी बाकी है। ड्रग विभाग की रिपोर्ट के अनुसार आयुर्वेदिक पाउडर में स्टीरॉयड पाया गया है, जोकि इंसान के लिए काफी नुकसानदायक है। वहीं बताया जा रहा है कि ड्रग विभाग की रिपोर्ट में सिंथेटिक ड्रग संबंधी भी लिखा हुआ है। सिंथेटिक ड्रग में एलोपेथिक पेन किलर गोलियों समेत अन्य कई पाबंदीशुदा दवाइयां मिली हो सकती है। छापामारी होने पर भाग गया था डॉक्टर का बेटा
बता दें कि 18 मार्च की सायं ब¨ठडा, चंडीगढ़ और मोगा की एसटीएफ टीम ने शिकायत के आधार पर दत्त रोड पर डॉ. गुरबचन ¨सह के घर पर दबिश की थी। टीम को सूचना मिली थी कि आरोपित डॉक्टर और उसके बेटे बड़े स्तर पर प्रतिबंधित दवाइयों का कारोबार करते हैं। दबिश के दौरान टीम ने डॉक्टर की कोठी से बिना बैच व बिना किसी ब्रांड नेम के आयुर्वेदिक दवाइयों के करीब तीन हजार पाउच बरामद किए थे। इसी बीच डॉक्टर गुरबचन ¨सह का बेटा अर¨वदर ¨सह उर्फ काला एसटीएफ की टीम को देखकर घर से फरार हो गया था और दूसरे बेटे हर¨जदर ¨सह उर्फ विक्की ने भी मौके से फरार होने का प्रयास किया था, जिसपर टीम ने उसे मौके पर ही काबू कर लिया था। आशंका होने पर एसटीएफ टीम ने स्थानीय ड्रग व आयुर्वेदिक विभाग की टीम को बुलाकर डॉक्टर की कोठी और मजिस्टिक रोड स्थित फैक्ट्री में रखे दवा के रॉ मट्रीरियल की सैंप¨लग करवा दवाइयों को सील कर दिया था। 2010 में भी फैक्ट्री सील कर चुकी है सीबीआइ
बता दें कि जेपी हर्बल फार्मेसी फैक्ट्री में वर्ष 2010 में बोंबे सीबीआइ द्वारा सूचना के आधार पर दबिश करके कई प्रकार की दवाइयां बरामद की गई थी। इसके बाद उक्त फैक्ट्री समेत नागपुर में स्थित एक फैक्ट्री के आपसी ¨लक होने के चलते दोनों फैक्ट्री मालिकों और उनके वर्करों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया था। साल 2015 में उक्त केस को मोहाली ट्रांसफर कर दिया गया था, जिसमें फैक्ट्री की वर्कर किरन बाला को तीन साल की सजा हुई थी। इस दौरान फैक्ट्री मालिक बीमारी का शिकार हो गया था, जिसके चलते उसके परिवार ने अदालत में याचिका दायर कर केस को सस्पेंड करवा दिया था। मिली जानकारी के अनुसार सीबीआई द्वारा उक्त फैक्ट्री के लाइसेंस को सीबीआइ ने जब्त कर लिया था, तब से यह फैक्ट्री बंद पड़ी थी।
दूसरे राज्यों में सप्लाई होती थी दवाइयां
सीबीआइ बांबे द्वारा दर्ज की गई एफआइआर के अनुसार इस फैक्ट्री से कोरियर सर्विस के जरिए महाराष्ट्र के नागपुर व अन्य इलाकों में अधिकतर सप्लाई होती थी। वहीं राजस्थान समेत अन्य राज्यों में भी उक्त दवाई की पुड़ियां भेजी जाती थी। इस आधे ग्राम की पुड़ी की कीमत करीब 200 रुपये बताई जा रही है। वहीं पहले दर्ज हुए केस में आरोप था कि इस दवा की पुड़ी में नशीली दवा समेत इंसानों के लिए नुकसानदाक पदार्थ मिक्स किए जातें हैं, जिसके चलते नागपुर में उक्त फैक्ट्री मालिक और मैनेजमेंट को विभिन्न अपराधिक धाराओं के तहत नामजद किया गया था।