50 किलो से ज्यादा कचरा पैदा किया तो खुद करना होगा डिस्पॉज ऑफ
फोटो-56 -शहर में 48 संस्थानों को तीन महीने पहले जारी किया था नोटिस पैनल्टी किसी को नहीं -घरों के कचरे को भी 60 प्रतिशत करना होगा खुद मैनेज बनेगा अतिरिक्त कमाई का जरिया -जागरूकता के लिए शहर के विभिन्न प्रतिष्ठानों के संचालकों को आज बुलाया निगम में
सत्येन ओझा, मोगा : शहर में अगर किसी संस्थान ने प्रतिदिन 50 किलो या उससे अधिक कचरा पैदा किया तो इसके लिए नगर निगम को बुरा भला कहने से काम नहीं चलेगा, कचरे का प्रबंधन खुद करना होगा, अन्यथा हैवी पैनल्टी भरनी पड़ सकती है। ठोस कचरा प्रबंधन नियम-2016 के तहत प्रतिदिन 50 किलो या इससे अधिक कचरा उत्पन्न करने वालों को बल्क वेस्ट जनरेटर की श्रेणी में माना गया है। नियमों के तहत इन्हें इनके यहां उत्पन्न होने वाले कचरे का अपने स्तर पर ही प्रबंधन करना अनिवार्य है। जो ऐसा नहीं करेंगे, उन पर जुर्माना व अन्य कार्रवाई का प्रावधान है। नगर निगम ने इस मामले में 50 किलो से ज्यादा कचरा पैदा करने वाले संस्थानों के प्रतिनिधियों को चर्चा के लिए 16 अक्तूबर को दोपहर दो बजे बुलाया है।
शहर के कचरा प्रबंधन की साल-2016 की गाइडलाइन आने के बाद शहर में बड़े पैमाने पर कचरा पैदा करने वाले 48 संस्थानों को निगम तीन महीने पहले नोटिस दे चुका है। हालांकि नोटिस देने के बाद इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था, जबकि ये संस्थान अभी भी निजी स्तर पर मैनेज करने की बजाय कचरा निगम के डंप में ही फेंक रहे हैं। इसके बावजूद निगम की ओर से अभी तक किसी संस्थान पर पैनल्टी नहीं लगाई गई है।
साल 2016 की गाइड लाइन में जो मानक तय कर दिए हैं। इसके अनुसार अब घरों से निकलने वाला भी 60 प्रतिशत कचरा खुद लोगों को मैनेज करना पड़ेगा। किचन के गीले कचरे को बाहर फेंकने के बजाय उसकी खाद बनाकर बिक्री कर सकते हैं। सूखे कचरे में प्लास्टिक के कैरी बैग, गत्ता, कागज आदि एकत्र कर रीसाइकिल करने वालों को सेल करके घर की आमदनी बढ़ा सकते हैं। सिर्फ उसी कचरे को घर के बाहर निगम के डंप में फेंकने की अनुमति होगी जिस कचरे का कुछ नहीं हो सकता है। न रीसाइकिल यूज हो सकता है न खाद बन सकती है। कोट्स
नई गाइड लाइन को लेकर शहर के लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से उन्हें निगम में दो बजे बुलाया है। आने वाले समय में इसे सख्ती से लागू किया जाएगा। नई गाइडलाइन लोगों के हित में है, वे कचरे को अपनी कमाई का जरिया बना सकते हैं, साथ ही शहर को स्वच्छ रखने में भी मदद कर सकते हैं।
-अनीता दर्शी, नगर निगम कमिश्नर
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सत्येन ओझा