तिरंगे में लिपटा पहुंचा शहीद का पार्थिव शरीर, नम आंखों से दी अंतिम विदाई
शहीद राइफलमैन कर्मजीत सिंह का पार्थिव शरीर जैसे ही गांव में पहुंचा शोक की लहर दौड़ पड़ी। हर कोई शहीद के अंतिम दर्शनों के लिए उमड़ पड़ा।
जेएनएन, मोगा। जम्मू-कश्मीर के राजौरी सेक्टर में पाकिस्तानी गोलाबारी में शहीद हुए जवान राइफलमैन कर्मजीत सिंह का पार्थिव शरीर मंगलवार को मोगा के कोटईसे खां स्थित उनके पैतृक गांव जनेर पहुंचा। जैसे ही पार्थिव शरीर गांव में पहुंचा शोक की लहर दौड़ पड़ी। हर कोई शहीद के अंतिम दर्शनों के लिए उमड़ पड़ा। गांव में भारत माता की जय व शहीद कर्मजीत सिंह अमर रहे के नारे गूंजने लगे। सेना की टुकड़ी ने हवाई फायर कर शहीद को अंतिम श्रद्धांजलि दी।
सेना से रिटायर्ड पिता अवतार सिंह व ताया रिटायर्ड सूबेदार दरबारा सिंह ने बताया कि कर्मजीत सिंह सेना में सिपाही के पद पर 2015 में भर्ती हुए थे। होली पर उसे घर आना था। इसके लिए 16 मार्च की छुट्टी मंजूर हो गई थी, लेकिन सीमा पर तनाव के चलते छुट्टी रद हो गई थी। उसे 24 मार्च को एक रिश्तेदार की शादी में शामिल होने के लिए भी आना था।
जनेर के एक अन्य जवान गुरतेजपाल सिंह ने इस बारे में जानकारी दी। फौजी पिता अवतार सिंह सेना से साल 1996 में सेवानिवृत्त हुए थे। सेवानिवृत होने के दो साल पहले ही 15 नवंबर 1994 में कर्मजीत सिंह का जन्म हुआ था। बाद में देश की सेवा के जुनून के चलते वह 28 जून 2015 को सेना में भर्ती हो गया था। कर्मजीत दो भाइयों में छोटा था। उसकी अभी शादी नहीं हुई थी। सेना में भर्ती के लिए टैटू बाधक बन रहा था। इसको कर्मजीत सिंह ने तेजाब से खत्म कर बतौर राइफलमैन भर्ती हुआ था।
शहीद के पिता अवतार सिंह ने बताया कि जनेर का एक अन्य जवान गुरतेजपाल सिंह भी कर्मजीत सिंह के साथ ही राजौरी सेक्टर में तैनात है, उसी ने सोमवार सुबह लगभग साढ़े दस बजे शहीद के पिता अवतार सिंह को फोन के माध्यम से कर्मजीत सिंह की शहीद होने की सूचना दी थी। बाद में जब सूचना ग्रामीणों को पता चली तो लोग उनके घर पर एकत्रित होना शुरू हो गए थे।
इकलौती विवाहित बहन सतवीर कौर 10 मार्च को ही टूरिस्ट वीजा पर आस्ट्रेलिया गई थी। भाई की शहीदी की सूचना पाकर वह जल्द ही वापस लौटेगी। एमएलए डॉ. हरजोत कमल ने बहादुर सिपाही कर्मजीत सिंह की शहादत को नमन करते हुए कहा कि छोटी म्र में देश के लिए कुर्बानी देकर कर्मजीत सिंह ने सच्चे देशभक्ति होने का सबूत दिया है। दुख की इस घड़ी में वे शहीद के परिवार के साथ खड़े रहेंगे।