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पीजीबी की सीनियर फील्ड आफिसर सहित चार पर धोखाधड़ी का केस

मोगा पंजाब ग्रामीण बैंक (पीजीबी) की सीनियर फील्ड आफिसर व रीजनल ट्रांसपोर्ट अथारिटी फरीदकोट के क्लर्क की मिलीभगत से पिता-पुत्र ने एक ही कार पर दो बैंकों से 15.10 लाख रुपये का ऋण लिया और बाद में किसी भी बैंक को इसे चुकाया नहीं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 04:35 PM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 04:35 PM (IST)
पीजीबी की सीनियर फील्ड आफिसर सहित चार पर धोखाधड़ी का केस
पीजीबी की सीनियर फील्ड आफिसर सहित चार पर धोखाधड़ी का केस

संवाद सहयोगी, मोगा

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पंजाब ग्रामीण बैंक (पीजीबी) की सीनियर फील्ड आफिसर व रीजनल ट्रांसपोर्ट अथारिटी फरीदकोट के क्लर्क की मिलीभगत से पिता-पुत्र ने एक ही कार पर दो बैंकों से 15.10 लाख रुपये का ऋण लिया और बाद में किसी भी बैंक को इसे चुकाया नहीं। इस बारे में बाद में एचडीएफसी बैंक ने जांच शुरू कराई तो उसके साथ मामला सेटल कर ऋण चुकाया था, लेकिन ऐसा पीजीबी के साथ नहीं किया। इस मामले में थाना सिटी-1 पुलिस ने इस बारे में पीजीबी की सीनियर फील्ड आफिसर सहित चार लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में केस दर्ज किया है। फिलहाल, पुलिस ने अभी किसी को गिरफ्तार नहीं कर सकी है।

उधर सूत्रों का कहना है कि इस केस में नामजद फरीदकोट आरटीए क्लर्क का नाम पहले भी विभाग में हुए कई घोटालों में आया है। केस दर्ज होने के बावजूद वह आरटीए आफिस में जा रहा है, लेकिन पुलिस के रिकार्ड पर फरार है।

उधर, थाना सिटी-1 के जांच अधिकारी इंस्पेक्टर बलराज मोहन ने बताया कि जीरा रोड स्थित पीजीबी के मैनेजर ने पुलिस को शिकायत दी है। इसमें आरोप लगाया गया है कि विकास भारती पुत्र सुशील कुमार निवासी पिप्पल वाला चौक पुराना मोगा ने साल 26 मार्च, 2019 में एक कार के लिए बैंक से 7.50 लाख का ऋण लिया था। इसे लेने के कुछ समय बाद आरोपित ने कार अपने बेटे मनी टांगरी के नाम करा दी। उन्होंने आरोप लगाया है कि आरटीए दफ्तर फरीदकोट के क्लर्क संजीव कुमार ने पीजीबी की सीनियर फील्ड आफिसर गुरशरण कौर के साथ मिलीभगत करके बैंक से लोन कराने के बाद कार नं. पीबी-29एक्स-3564 की आरसी पर हाईपोथीगेशन नहीं चढ़वाई। हाईपोथीगेशन के आधार पर ही आरसी की पहचान होती है कि उस पर किसी बैंक का लोन है या नहीं। हाईपोथीगेशन होने पर आरसी पर बैंक का नाम भी दर्ज हो जाता है। बाद में विकास भारती ने अपनी कार अपने बेटे मनी टांगरी के नाम कार कर दी। हाईपोथीगेशन न होने के कारण कार की आरसी मनी टांगरी के नाम पर जारी हो गई।

बाद में मनी टांगरी ने उसी आरसी के आधार पर एचडीएफसी बैंक से पहले 31 मई, 2019 को पांच लाख का ऋण लिया, बाद में 21 अगस्त, 2019 को 2.61 लाख का ऋण फिर से ले लिया। धोखाधड़ी की इस साजिश में गुरतेज सिंह पुत्र हरबंस सिंह नामक व्यक्ति भी शामिल रहा है, वह गवाह बना था। एचडीएफसी बैंक की किश्तें रुकीं, तो बैंक ने मामले की जांच-पड़ताल शुरू कर दी। आरोपित विकास भारती की बैंक स्टेटमेंट निकलवाने से पता चला कि वह तो पहले भी पीजीबी से इसके लिए ऋण ले चुका है। पोल खुलती देख मनी टांगरी ने एचडीएफसी बैंक को पूरा ऋण 23 जुलाई, 2019 को चुका दिया। इसके बाद एचडीएफसी बैंक ने कोई कार्रवाई नहीं की।

पुलिस सूत्रों के अनुसार पीजीबी की किश्तों को लेकर मनी टांगरी इसलिए बेफिक्र था कि वहां सीनियर फील्ड आफिसर के साथ मिलीभगत होने के कारण उसे ज्यादा चिता नहीं थी। मगर, बैंक के मैनेजर ने किस्तें न मिलने पर मामले की जांच कराई, तो धोखाधड़ी का पूरा मामला सामने आ गया। थाना सिटी-1 में इस मामले मे बैंक की सीनियर फील्ड आफिसर गुरशरण कौर, आरटीए फरीदकोट के क्लर्क संजीव कुमार गुरतेज सिंह, मनी टांगरी, व विकास भारती के खिलाफ धोखाधड़ी की साजिश रखने व धोखाधड़ी करने के मामले में केस दर्ज कराया है।


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