निगम में जाने के लिए लेनी पड़ी सुरक्षा
मोगा : किसी सरकारी कार्यालय में जाना एक आम आदमी के लिए कोई मुश्किल काम नही है, लेकिन निगम में बिना सुरक्षा के जाना खतरे से खाली भी नही है?
जागरण संवाददाता, मोगा : किसी सरकारी कार्यालय में जाना एक आम आदमी के लिए कोई मुश्किल काम नही है, लेकिन निगम में बिना सुरक्षा के जाना खतरे से खाली भी नही है? इस बात को सुनने में बेशक अजीब लगे, लेकिन सरकारी कार्यलय में जाने के लिए प्रशासन ने एक आरटीआई एक्टीविस्ट को सुरक्षा प्रदान कर साफ कर दिया है कि सरकारी मुलाजिम आम लोगों पर भारी पड़ने लगें हैं।
मंगलवार को निगम कमिश्नर अनीता दर्शी ने आरटीआइ को लेकर सुनवाई अपने कार्यलय में रखी थी, जिसको लेकर फर्स्ट अपील करने वाले लोगों को नोटिस भेजकर मंगलवार को सुबह 10 बजे कार्यलय में पेश होने को कहा गया था। लंबे समय से आरटीआइ को लेकर चर्चा में रहे सुरेश सूद को भी कमिश्नर का बुलावा बीते शुक्रवार को मिला। उन्होंने निगम में आने पर अपनी सुरक्षा को लेकर कुछ सवाल करते हुए सबूत भी दिखाए। मामले की गंभीरता को देख निगम कमिश्नर ने शनिवार को छुट्टी वाले दिन एसएसपी मोगा को पत्र भेज आरटीआइ एक्टीविस्ट के लिए सुरक्षा प्रदान करने को कह दिया। एसएसपी गुरप्रीत ¨सह तूर ने भी दस्तावेज को खंगालने के बाद आरटीआइ एक्टीविस्ट के लिए निगम कार्यलय में जाने के लिए सुरक्षा प्रदान कर दी। निगम में जाने के लिए हर बार मिलेगी सुरक्षा
निगम कमिश्नर के आदेशों पर एसएसपी मोगा द्वारा आरटीआइ एक्टीविस्ट को सुरक्षा प्रदान किए जाने के साथ ही एसएसपी ने सिटी थाना प्रभारी को लिखित आदेश दिया है कि जब जब आरटीआइ एक्टीविस्ट सुरेश सूद को नगर निगम में जाने की जरूरत हो वह तभी थाने से सुरक्षा हासिल कर सकते है। इसके लिए अभी भविष्य में उन्हें अलग से अनुमति लेने की जरूरत नही होगी। सुरक्षा न मिलती तो स्टेट कमिशन को बताता सच्चाई
आरटीआइ एक्टीविस्ट सुरेश सूद का कहना है कि यदि निगम कमिश्नर के प्रयास के बावजूद उन्हें सुरक्षा न मिलती तो वह बिना सुरक्षा निगम कार्यालय में नही जाते। निगम कमिश्नर के बुलावे पर उनके द्वारा प्रतिक्रिया देना आवश्यक था, जिसे बेहद गंभीरता से लिया गया। सुरक्षा कारणों के चलते यदि फस्ट अपील पर निगम कमिश्नर कार्यालय तक न पहुंच पाता तो निगम से जुड़े आरटीआई के सभी मामलों को स्टेट कमिशन तक जरूर लेकर जाता। आखिर किन किन लोगों को सुरक्षा प्रदान करवाएगा निगम
आरटीआइ एक्टीविस्ट संतोख ¨सह का कहना है कि सरकारी रिकार्ड गवा है कि निगम के संयुक्त कमिश्नर, डीसीएफए तक निगम में सुरक्षा प्रदान किए जाने की गुहार लगा चुकें हैं। बावजूद इसके निगम अधिकारी अपने कर्मचारियों को कोई सबक नही सिखा पाएं हैं। हालांकि सभी निगम कर्मी एक जैसे नही है, लेकिन कुछेक लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए माहौल को खराब करने का प्रयास कर रहें हैं। निगम में जाने पर असुरक्षा महसूस करने वाला अब कोई भी व्यक्ति निगम के माध्यम से सुरक्षा हासिल करने में देरी नही लगाएगा। क्योकि सुरेश सूद के मामले के बाद सुरक्षा मिलने का रास्ता बिल्कुल साफ हो चुका है।