बेखौफ हो रही पेड़ों की कटाई, नहीं होती कार्रवाई
जिले में पहले नेशनल हाईवे के निर्माण के नाम पर हजारों पेड़े काटे गए लेकिन लगाया एक भी नहीं वहीं अब लकड़ियों व दातुनों का धंधा करने वाले कुछ लोग पेड़ काट रहे हैं जिनके खिलाफ कोई कार्रवाई करने वाला नहीं है।
संजीव गुप्ता, मोगा : जिले में पहले नेशनल हाईवे के निर्माण के नाम पर हजारों पेड़े काटे गए, लेकिन लगाया एक भी नहीं, वहीं अब लकड़ियों व दातुनों का धंधा करने वाले कुछ लोग पेड़ काट रहे हैं, जिनके खिलाफ कोई कार्रवाई करने वाला नहीं है। गांव दुन्नेके में पेड़ पर कुल्हाड़ा चलाता एक व्यक्ति कैमरे में कैद होते ही कुल्हाड़ा लेकर फरार हो गया।
उधर वन विभाग ने अपनी विवशता जाहिर कर दी है। लगभग 80 किलोमीटर क्षेत्र में फैले मोगा जिले के 342 गांवों में अवैध कटान पर निगरानी के लिए विभाग के पास सिर्फ 18 मुलाजिम हैं, उन्हें भी इन दिनों पौधारोपण अभियान पर लगा रखा है।
बता दें कि शहर में इन दिनों नीम की दातुन का प्रचलन काफी तेजी से चल पड़ा है। पिछले कुछ दिनों से सूचना मिल रही थी कि दातुन का कारोबार करने वाले लोग पूरे पेड़ काट डालते हैं, जिससे लकड़ियां भी बिक जाती हैं, हजारों की संख्या में दातुन अलग से बिक जाती हैं। दुन्नेके क्षेत्र में पिछले कुछ महीने में भी दर्जनों पेड़ काटे गए हैं। दैनिक जागरण ने दुन्नेके रोड पर ऐसे ही एक मामले की सूचना मिलते ही पेड़ काट रहे व्यक्ति को जैसे ही कैमरे में कैद करने की कोशिश की तो वह कुल्हाड़ा लेकर गांव की तरफ भाग निकला। पेड़ों की कटाई से दूषित हो रहा पर्यावरण
शहर के निवासी अवतार सिंह का कहना है कि हाईवे के निर्माण के दौरान शहर में पहले ही बड़े पैमाने पर पेड़ काटे जा चुके हैं। एनजीटी के निर्देशों के अनुसार काटे गए पेड़ों के अनुपात में नए पेड़ नहीं लगाए गए हैं, जिससे शहर में वातावरण लगातार दूषित हो रहा है। शहर में अब नहीं दिखते पेड़ : हरमीत सिंह
हरमीत सिंह का कहना है कि हैरानी की बात है कि कुछ लोग पेड़ों को बेखौफ काट रहे हैं। उधर हर साल लाखों पौधे सरकारी खर्चे पर लगाए जा रहे हैं, लेकिन ये पौधे सिर्फ अखबारों की सुर्खियों में दिखाई देते हैं, जमीनी हकीकत ये है कि शहर में दूर-दूर तक पेड़ नहीं दिख रहे हैं। पौधे लगाकर करनी चाहिए देखभाल : अजय कुमार
कारोबारी अजय कुमार का कहना है कि पेड़ों की अवैध कटाई करने वालों पर सख्ती के साथ कार्रवाई होनी चाहिए, साथ ही जो पौधे लगाए जा रहे हैं ये पेड़ बनते हुए जमीन पर ही दिखने चाहिए, जब तक पौधे लगाकर उसकी देखभाल नहीं होगी तब तक पौधारोपण अभियानों को कोई मतलब नहीं है। सिर्फ सरकारी धन की बर्बादी से ज्यादा कुछ नहीं है। वन विभाग के पास एक गाड़ी उसका भी नहीं मिलता पेट्रोल खर्चा
वन रेंज अधिकारी बलजीत सिंह कंग का कहना है कि जिले के 342 गांवों के लिए सिर्फ 18 मुलाजिम हैं, जो 70 से 80 किलोमीटर का क्षेत्र देखते हैं। विभाग ने उन्हें एक ही वाहन दिया है, जिसका पेट्रोल का बिल भी कई-कई महीने नहीं दिया जाता है। वर्तमान में सभी 18 कर्मचारियों को पौधारोपण पर लगा रखा है। अब तक वे 471606 पौधे लगा चुके हैं।