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एजुकेशन गैप पूरा करने के लिए बनाए जाते थे फर्जी सर्टिफिकेट

मानव तस्वरी के मामले में फंसे ग्रीन ट्री संस्था के संचालक जसवीर सिंह के मामले में एक और बड़ा सच सामने आया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Oct 2019 10:47 PM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 06:15 AM (IST)
एजुकेशन गैप पूरा करने के लिए बनाए जाते थे फर्जी सर्टिफिकेट
एजुकेशन गैप पूरा करने के लिए बनाए जाते थे फर्जी सर्टिफिकेट

दविदर पाल सिंह, मोगा : मानव तस्वरी के मामले में फंसे ग्रीन ट्री संस्था के संचालक जसवीर सिंह के मामले में एक और बड़ा सच सामने आया है। विदेश जाने की चाहत रखने वाले जिन युवकों का पढ़ाई में गैप के कारण वीजा रद होता था, ऐसे विद्यार्थियों की पढाई का गैप खत्म करने के लिए जसवीर सिंह शहर की प्रतिष्ठित कॉलेज का सर्टिफिकेट बनवाकर देता था।

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कनाडा एंबेंसी के फर्जी ग्रांटेड इंवेस्टमेंट सर्टिफिकेट (जीआईसी) पेश करने के कारण पांच साल के लिए वीजा से वंचित किए गए 198 विद्यार्थियों की शिकायत पर इमीग्रेशन संचालक के खिलाफ मानव तस्करी व धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया था। आरोपित की अग्रिम जमानत हाईकोर्ट से भी खारिज हो चुकी है, ऐसे में अब उस पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।

इंगलिश ट्री इमीग्रेशन के संचालक जसवीर सिंह के खिलाफ केस दर्ज होने के बाद एसएसपी को अर्शदीप सिंह गांव मंडीरांवाला नवां ने एक और शिकायत दी है। पीड़ित अर्शदीप सिंह ने शिकायत में कहा था कि उसने इमीग्रेशन संचालक जसवीर सिंह के माध्यम से कनाडा में पढ़ाई के लिए फाइल लगवाई थी। फाइल सबमिट करते समय उसने जसवीर सिंह को बता दिया था कि उसकी पहली अर्जी रद हो चुकी है। उसकी पढ़ाई में गैप भी है। एजेंट ने 13.30 लाख रुपये में सौदा तय करके झांसा दिया कि वह सारा कुछ ठीक करा देगा। उसके पास से 30 हजार लेने बाद कई महीने तक वह टालमटोल करता रहा। बाद में बताया कि एंबेंसी ने उसका वीजा रद कर दिया है। कई महीने बाद एंबेंसी का पत्र उनके घर आया जिसमें ऑफर लैटर जाली होने के कारण वीजा पर पांच साल की पाबंदी लगाने की बात लिखी हुई थी। ये वजह देख उसके होश उड़ गए क्योंकि कोई फर्जी डॉक्यूमेंट नहीं लगाया था। पीड़ित ने एजेंट से फाइल में लगाए दस्तावेजों की कापियां मांगीं तो उसने देने से इन्कार कर दिया था। इसके बाद उसने एंबेंसी में से दस्तावेजों की नकल प्राप्त कीं तो वहां से मिले दस्तावेजों में कंप्यूटर इंजीनियर का डिप्लोमा देखकर वह हैरान रह गया। क्योंकि कंप्यूटर इंजीनियर का न तो उसने कोई डिप्लोमा किया था न ही उसने ये सर्टिफिकेट दिया था।

पीड़ित विद्यार्थी ने दावा किया कि उसने फाइल लगाते समय एजेंट को बताया था कि वह स्थानीय गुरु नानक कॉलेज का रेगुलर विद्यार्थी है। इससे पहले उसने साल 2015-16 में स्थानीय एक तकनीकी कॉलेज से वेल्डर ट्रेड का एक साल का डिप्लोमा किया था। एक साल के गैप के बाद उसने गुरुनानक कॉलेज में प्रवेश लिया था। एजेंट ने साल 2017-18 का जाली कंप्यूटर डिप्लोमा सर्टीफिकेट तैयार करके फाइल में लगवा दी थी। पुलिस इस मामले की पड़ताल कर रही है।

मामले की जांच जारी : एसएसपी

एसएसपी अमरजीत सिंह बाजवा ने बताया कि मामले की जांच मानव तस्करी विंग के प्रभारी वेद प्रकाश कर रहे हैं। फर्जी सर्टिफिकेट मिलने की पुष्टि करते हुए उन्होंने कहा कि मामले की जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।


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