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एक ओर गेंहू से दे रहा आटा, दूसरी ओर अवशेष जलाकर बीमारियां बांट रहा अन्नदाता

किसानों को खेतों में फसलों के अवशेष को आग न लगाने के लिए जहां समय-समय पर जिला प्रशासन व सरकार की ओर से जागरूक किया जा रहा है। वहीं करोड़ों रुपये खर्च करके किसानों को गेहूं की नाड़ व धान की पराली को खेतों में मिलाने के लिए उपकरण मुहैया करवाने की योजनाएं भी चलाई जा रही हैं। इसके बावजूद किसान धान की पराली व गेहूं के नाड़ को आग लगाने से नहीं हट रहा। जिसके कारण आए दिन सड़कों पर छाई धुंध के कारण सड़क हादसे तो हो ही रहे हैं। वहीं लोगों को सांस लेने के साथ साथ अन्य बीमारियां भी चपेट में ले रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 07:23 PM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 07:23 PM (IST)
एक ओर गेंहू से दे रहा आटा, दूसरी ओर अवशेष जलाकर बीमारियां बांट रहा अन्नदाता
एक ओर गेंहू से दे रहा आटा, दूसरी ओर अवशेष जलाकर बीमारियां बांट रहा अन्नदाता

राज कुमार राजू, मोगा : किसानों को खेतों में फसलों के अवशेष को आग न लगाने के लिए जहां समय-समय पर जिला प्रशासन व सरकार की ओर से जागरूक किया जा रहा है। वहीं करोड़ों रुपये खर्च करके किसानों को गेहूं की नाड़ व धान की पराली को खेतों में मिलाने के लिए उपकरण मुहैया करवाने की योजनाएं भी चलाई जा रही हैं। इसके बावजूद किसान धान की पराली व गेहूं के नाड़ को आग लगाने से नहीं हट रहा। जिसके कारण आए दिन सड़कों पर छाई धुंध के कारण सड़क हादसे तो हो ही रहे हैं। वहीं लोगों को सांस लेने के साथ साथ अन्य बीमारियां भी चपेट में ले रही हैं। यही नहीं गेहूं की नाड़ व धान की पराली को आग लगाने वाले किसानों के प्रति कानूनी कार्रवाई व चालान काटने की मुहिम भी जिला प्रदूषण बोर्ड की ओर से चलाई जा रही है। ऐसे में आज तक चालान काटने की कार्रवाई को कोई तव्वजों नहीं दी गई।

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20 सदस्यीय कमेटी कर रही है जागरूक

इस संबंध में जिला खेतीबाड़ी विभाग के डॉक्टर गुरदीप ¨सह ने बताया कि किसानों को धान की पराली व गेहूं की नाड़ को आग लगाने के खिलाफ जागरूक करने के तहत 20 मेंबरों की कमेटी का गठन किया है। जिसमें 4-4 अधिकारियों की पांच टीमें बनाई हुई है। जिनमें एक पुलिस कर्मचारी, एक पटवारी, एक पंचायत मेंबर समेत एक उनके विभाग का अधिकारी होता है। यह कमेटी किसानों को पराली को आग न लगाने के बारे में जागरूक कर रही है।

अब तक लगाए जा चुके है सैकड़ों कैंप

डॉक्टर गुरदीप ¨सह ने बताया कि विभाग की ओर से अब तक जिले में किसानों को जागरूक करते हुए उनको पंपलेट बांटे जाते हैं। जिले के 330 गांवों में लगभग 100 कैंप लगाए जा चुके हैं। खेतों में बचे फसलों के अवशेष को खेत में मिलाने के लिए सरकार ने 5 करोड़ 70 लाख की राशि के उपकरण मुहैया करवाए हैं। खेती योग्य उपकरण लेने के लिए किसानों के 1545 केस आए थे, जिनमें से 1110 किसानों को मंजूरी देते हुए उनको खेती में प्रयोग होने वाले उपकरण जैसे हैप्पी सीडर, एसएम एसएमबी प्लाओं यानि उल्टा हल, मल्चर उपकरण मुहैया करवा दिए हैं। इसके अलावा 840 किसानों के खातों में सब्सिडी भी जा चुकी है।

18 ग्रुप किराए पर दे रहे मशीनरी

डॉक्टर गुरदीप ¨सह ने कहा कि जिले में 8-10 किसानों ने 18 ग्रुप बनाए हुए हैं, जो खेती में प्रयोग होने वाले उपकरणों को बनाकर आगे भी किराए पर देने का काम करते हैं। इसके अलावा जिले में चल रही 168 सोसासटियों में 469 खेती योग्य उपकरण मुहैया करवा दिए गए हैं। जहां सोसायटी के सदस्य आस-पास के गांव में कम जमीन वाले किसानों को खेती योग्य उपकरण किराए पर देते हैं।

करीब डेढ़ करोड़ के दिए जा चुके खेती यंत्र

डॉक्टर गुरदीप ¨सह ने बताया कि सरकार की ओर से किसानों को पराली को आग न लगाने के लिए सब्सिडी पर एक करोड़ 42 लाख 50 हजार रुपये के खेती योग्य औजार मुहैया करवाए है। जिसमें मल्चर, एमबी ब्लाक, हैपी सीडर दिए गए हैं। खेती योग्य उपकरण लेने वाले किसानों को सरकार द्वारा करीब 50 प्रतिशत कीमत पर औजार दिए जाते हैं। .


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