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ृ'जागृति भवन' में भविष्य के रंगीन सपने बुन रहीं बेटियां

सत्येन ओझा मोगा आधुनिक मोगा के जन्मदाता राय बहादुर डॉ. मथुरादास पाहवा ने अपने जीते जी अप

By JagranEdited By: Published: Mon, 05 Oct 2020 11:32 PM (IST)Updated: Mon, 05 Oct 2020 11:32 PM (IST)
ृ'जागृति भवन' में भविष्य के रंगीन सपने बुन रहीं  बेटियां
ृ'जागृति भवन' में भविष्य के रंगीन सपने बुन रहीं बेटियां

सत्येन ओझा, मोगा

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आधुनिक मोगा के जन्मदाता राय बहादुर डॉ. मथुरादास पाहवा ने अपने जीते जी अपनी ही तकनीक से आंखों के आपरेशन कर हजारों लोगों को नई रोशनी दी। उनके निधन के बाद उनके परिवार ने जब लगभग 20 साल पहले अभावग्रस्त लोगों की मदद के लिए शुरू हुई संस्था भारतीय जागृति मंच का हाथ थामा, तो मंच ने पांच साल पहले जागृति भवन में सिलाई सेंटर की स्थापना कर अभाव में जी रही बेटियों को खुशियों की नई सौगात दी। यहां हर तरफ से निराश होकर बेटियां अपने सुनहरे भविष्य के रंगीन सपने बुन रही हैं। पिछले पांच सालों में यहां से लगभग 500 महिलाओं व युवतियों ने सिलाई व कढ़ाई की ट्रेनिग लेकर आत्मनिर्भर भारत की नई कहानी गढ़ी है। वैश्विक संकट के दौरान यहां ट्रेनिग ले रहीं बेटियों ने मास्क व एप्रिन बनाकर दूसरे लोगों को भी जिदगी की सुरक्षा का कवच तैयार किया था।

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केस.1 सक्षम बन दूसरी बेटियों को भी दिया रोजगार

पुराना मोगा निवासी मीनाक्षी बताती हैं कि शादी के कुछ वर्षो बाद ही ससुराल में जिस तरह का जुल्म हुआ, वो दौर बहुत मुश्किल भरा था। पिता का निधन हो चुका था और वह दो बच्चों की मां भी बन चुकी थीं। उस दौर में मां बलजीत कौर ने उन्हें एक राह दिखाई। मां ने प्रेरित किया कि वह जागृति भवन में सिलाई-कढ़ाई की ट्रेनिग लेकर अपना कुछ काम करे, इससे उसे फैसला लेने में आसानी होगी, मां ने भी वहीं से ट्रेनिग ली थी। बस पति से तलाक देकर मीनाक्षी ने ट्रेनिग लेकर चौक शेखां में अपनी बुटीक खोल लिया। आज बुटीक में वह कुछ और बेटियों को भी रोजगार दे रही हैं।

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केस.2 दो बेटियों सहित खुद भी बनीं आत्मनिर्भर

आर्थिक रूप से बेहद कमजोर परिवार से संबंधित कोटकपूरा रोड निवासी अमरजीत कौर की दो बेटियां हैं। वह खुद किसी तरह घरों में काम करके परिवार का गुजारा कर रही थीं। बेटियों की बड़ी होने पर उनकी शादियां कैसे करेंगी व भविष्य को लेकर बड़ी चिता री। अमरजीत कौर को जब जागृति भवन के सिलाई सेंटर का पता चला तो दोनों बेटियों सिमरन कौर व कमलजीत कौर को वहां भेजा। खुद भी सेंटर में सेवादार के रूप में नौकरी की। बेटियां यहां से ट्रेनिग लेकर परिवार का खर्चा बेहतर ढंग से चला रही हैं। अब उनकी शादी की चिता भी नहीं है। दोनों बेटियां अब खुद आत्मनिर्भर बन चुकी हैं। --------------

ये चला रहे हैं संस्था को

लगभग 20 साल पहले अभावग्रस्त लोगों की सेवा के उद्देश्य से आयुर्वेदिक चिकित्सक डा. दीपक कोछड़ ने भारतीय जागृति मंच की स्थापना की थी। पी मार्क की चेयरपर्सन इंदु पुरी इसकी सरंक्षक बनीं। बाद में समाजसेवक व बीबीएस ग्रुप के रूप शिक्षण संस्थाएं चलाने वाले संजीव सैनी, चेयरमैन वेदव्यास कंसल, कैशियर मनदीप कपूर, अमनदीप, राकेश सितारा, मंगतराय गोयल संस्था के साथ जुड़कर मानवता की सेवा का काम कर रहे हैं।

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500 लड़कियां पैरों पर हुई खड़ी

संस्थापक डा. कोछड़ का कहना है कि सेंटर में रजनी शर्मा मेंटर के रूप में काम कर रही हैं। वह अब तक उत्कृष्ट सेवाएं दे रही हैं। रजनी यहां बच्चियों को सिलाई-कढ़ाई की ट्रेनिग देने सहित उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए मानसिक रूप से भी मजबूत बनाती हैं। पांच साल में यहां से अब तक बेहद गरीब घर की 500 से ज्यादा लड़कियां ट्रेनिग लेकर अपने पैरों पर खड़ी हो चुकी हैं। एक बैच में 50 लड़कियां नि:शुल्क ट्रेनिग लेती हैं।


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