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कांवड़ यात्रा पर पाबंदी से कारोबार में छाई मंदी

तरलोक नरूला मोगा पहले से ही मंदी की मार झेल रहे व्यापारियों को इस बार कांवड़ यात्रा मोगा पहले से ही मंदी की मार झेल रहे व्यापारियों को इस बार कांवड़ यात्रा न होने की मार भी झेलनी पड़ेगी। बता दें कि इस बार कांवड़ यात्रा पर प्रतिबंध लगाया गया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 Jul 2020 10:58 PM (IST)Updated: Tue, 14 Jul 2020 10:58 PM (IST)
कांवड़ यात्रा पर पाबंदी से कारोबार में छाई मंदी
कांवड़ यात्रा पर पाबंदी से कारोबार में छाई मंदी

तरलोक नरूला, मोगा

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पहले से ही मंदी की मार झेल रहे व्यापारियों को इस बार कांवड़ यात्रा न होने की मार भी झेलनी पड़ेगी। बता दें कि इस बार कांवड़ यात्रा पर प्रतिबंध लगाया गया है। इससे पहले मोगा शहर से हर वर्ष सैकड़ों कांवड़िये सावन में कांवड़ लेने जाते थे। इस दौरान अपनी यात्रा के लिए जरूरत का सामान खरीदते थे। ऐसे में पहले कावड़ियों की यात्रा के दौरान कांवड़ियों की निकर, टी शर्ट, कपड़े के बूट, लाल रंग के परने, सफेद लूंगी आदि की मांग रहती थी। इसके लिए संबंधित व्यापारी अधिक मात्रा में सामान का स्टॉक करते हैं। मगर, इस बार उक्त वस्तुओं को बेचने वाले व्यापारियों को कांवड़ यात्रा न होने के कारण मंदी का सामना करना पड़ रहा है। इस बारे में संबंधित व्यापारियों का कहना है कि व्यापार की हालत इतनी खराब हो गई है कि सामान के डिब्बों को खोलने का मौका तक नहीं मिला है।

इस बारे में सुशील कुमार, अभिषेक कुमार व सुशील धींगड़ा ने बताया कि कांवड़ियों की यात्रा के दिनों में पहले उनकी दुकान से अंडर गारमेंट्स सहित यात्रा में इस्तेमाल होने वाले लाल रंग के गमछों, लूंगी आदि की ज्यादा बिक्री होती थी। मगर, इस बार उन्हें कोविड-19 के कारण कपड़े के कारोबार में मंदी का दंश झेलना पड़ रहा है।

उधर, कुमार बूट हाउस के एमडी तरसेम कुमार ने कहा कि लॉकडाउन से पहले हर वर्ष सावन में अलग-अलग तीर्थ स्थलों पर यात्रा को जाने वाले लोग उनकी दुकान से स्पो‌र्ट्स शूज व कपड़े के सफेद बूटों की खरीदारी विशेष रूप से करते थे। मगर, इस बार कोरोना ने सबकुछ चौपट कर दिया है। दूसरी और स्कूल भी बंद हैं, यही कारण है कि दिन भर खाली बैठकर घर वापस जाना पड़ता है।

इसी क्रम में सचदेवा गारमेंट्स के एमडी एवं गारमेंट्स एसोसिएशन के पंजाब उपप्रधान निरंजन सचदेवा ने बताया कि कोविड-19 के कारण लोगों का मनोबल खत्म हो गया है। त्योहार की तरफ लोगों का ध्यान नहीं है। पहले हर पर्व पर सभी को बड़ा शौक होता था। वहीं मेलों में लोग श्रद्धा से जाते थे। अब इस महामारी के कारण ऐसा नहीं है। यही कारण है कि त्योहारों की रंगत फीकी पड़ गई है।


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