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ढाई महीने में ही बदल दी सरकारी हाईस्कूल की सूरत

सरकारी फंड का सही प्रयोग हो तो वह दिखता है। किसी को बताने की जरूरत नहीं पड़ती। अमृतसर रोड पर दशमेश नगर स्थित सरकारी हाईस्कूल इसकी बड़ी मिसाल बनकर सामने आया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 30 Apr 2021 06:38 AM (IST)Updated: Fri, 30 Apr 2021 06:38 AM (IST)
ढाई महीने में ही बदल दी सरकारी हाईस्कूल की सूरत
ढाई महीने में ही बदल दी सरकारी हाईस्कूल की सूरत

नेहा शर्मा, मोगा : सरकारी फंड का सही प्रयोग हो तो वह दिखता है। किसी को बताने की जरूरत नहीं पड़ती। अमृतसर रोड पर दशमेश नगर स्थित सरकारी हाईस्कूल इसकी बड़ी मिसाल बनकर सामने आया है। प्रिसिपल के रूप में ढाई महीने पहले पद्भार संभालने के अंदर ही अमनदीप कौर ने स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चर को बदलकर इसे स्मार्ट स्कूल के रूप में तब्दील किया है।

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देखने में ये सरकारी स्कूल नहीं लगता है। यह प्राइवेट स्कूल को मात दे रहा है। ढाई महीने में ही बदली स्कूल की सूरत के कारण पिछले साल की तुलना में अब तक यहां पर 27 प्रतिशत ज्यादा एडमिशन हो चुके हैं, जबकि एडमीशन की प्रक्रिया अभी जुलाई महीने के अंत तक चलनी है। क्या किया बदलाव

सरकारी दशमेश हाई स्कूल में प्रिसिपल के रूप में 18 फरवरी को पदभार संभालने के बाद अमनदीप कौर को स्कूल जिस हालत में मिला था वह सरकारी होने का आभास करा रहा था। सभी कमरों के फर्श टूटे हुए थे। प्रिसिपल रूम किसी स्टोर से कम नहीं था। स्कूल के इन्फ्रास्ट्रक्र को सुधारने के लिए जिला स्तर पर फंड था, लेकिन उसका उपयोग नहीं किया गया था। अमनदीप कौर ने सबसे पहले स्कूल के इन्फ्रास्ट्रक्चर को बदल फर्श पर टाइल्स लगवाई। स्कूल के कमरों में पर्दे, स्मार्ट बोर्ड, बच्चों के बैठने के नई बेंच व कमरों को साफ सुथरा बनाया।

समाजसेवियों व पार्षद भी लिया सहयोग

सरकार की ओर से जो फंड उपलब्ध कराया था, वह पर्याप्त नहीं था, ये देखते हुए अमनदीप कौर ने स्थानीय पार्षद व अन्य समाजसेवी लोगों से संपर्क किया। निजी प्रयास से फंड जुटाए। अमनदीप कौर का कहना कि स्कूल की इन्फ्रास्ट्रक्चर बदला तो बच्चों के एडमिशन में तेजी आ गई। निजी स्कूलों के बच्चे भी उनके स्कूल में दाखिला लेने गए। पिछले साल उनके स्कूल में 146 बच्चे थे, 28 जुलाई तक 188 बच्चे प्रवेश ले चुके हैं। स्कूलों में कमरे सीमित हैं, उन्हें बैठाने के लिए जगह नहीं थी, तो तमाम विरोध के बाद एक और कमरे का निर्माण शुरू करा दिया। ये कमरा भी शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले तैयार हो जाएगा।

खाली पदों को भरने की कवायद शुरू

कंप्यूटर रूम भी प्राइवेट स्कूल से कम नहीं है। इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार के बाद अब अमनदीप कौर स्कूल के अध्यापकों को वापस स्कूल में बुलाने के प्रयास में जुट गई हैं। कुछ अध्यापक डेपुटेशन में दूसरे स्थानों पर काम कर रहे हैं। साइंस अध्यापक का पद खाली है। उन्हें स्थानीय स्तर पर रखने का प्रयास कर रही हैं। बदलाव के लिए कैसे जुटाया धन

प्रिसिपल अमनदीप कौर बताती हैं कि सरकारी धन कम पड़ा तो लोगों से सहयोग मांगा स्कूल में बदलाव को देख लोग खुलेमन से राशि दे रहे हैं। फिर भी किसी काम के लिए धनराशि कम पड़ती है तो स्कूल के सभी अध्यापकों को उन्होंने मोटीवेट किया है आपस में अपने वेतन से कलेक्शन कर पैसे जुटाती हैं। किसी काम को रुकने नहीं दिया जाएगा। स्कूल पहली मंजिल पर है। जगह बहुत कम है, इसके बावजूद वहां पर गमले लगातर पूरे परिसर को प्रकृति के साथ खूबसूरत रूप देने का प्रयास किया है।

डिप्टी डीईओ ने प्रयास को सराहा

जिले के एनरोलमेंट के लिए बनाए गए नोडल अधिकारी एवं डिप्टी डीईओ राकेश कुमार मक्कड़ का कहना है कि अमनदीप कौर की ओर से स्कूल में किया बदलाव सराहनीय है, उन्होंने साबित कर दिखाया है कि मन में इच्छा शक्ति हो तो सरकारी सिस्टम को भी बदला जा सकता है।

भविष्य की योजना

स्कूल में जगह की कमी होने के कारण बच्चों को दूसरी मंजिल पर खुले में प्रार्थना सभा होती है। अमनदीप कौर का कहना है कि वे समाजसेवियों की मदद से दूसरी मंजिल की चारदीवारी कर शेड डलवाना चाहती हैं ताकि हर मौसम में बच्चों की असेंबली व अन्य गतिविधियां जारी रहें।


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