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सार्वजनिक स्थानों पर तंबाकू बेचने वालों के काटे चालान

गांव जलालाबाद पूर्वी में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सार्वजनिक स्थानों पर तंबाकू और सिगरेट बेचने वालों के खिलाफ अभियान चलाया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Apr 2021 11:25 PM (IST)Updated: Tue, 20 Apr 2021 11:25 PM (IST)
सार्वजनिक स्थानों पर तंबाकू बेचने वालों के काटे चालान
सार्वजनिक स्थानों पर तंबाकू बेचने वालों के काटे चालान

संवाद सूत्र.धर्मकोट

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गांव जलालाबाद पूर्वी में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सार्वजनिक स्थानों पर तंबाकू और सिगरेट बेचने वालों के खिलाफ अभियान चलाया। दुकानदारों को चेतावनी दी गई नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

हेल्थ सुपरवाइडर अमर सिंह के नेतृत्व में कुलवंत सिंह, दविदर सिंह, परमिदर कुमार, जसपाल सिंह और पलविदर सिंह की टीम ने सार्वजनिक स्थानों पर तंबाकू खाने वालों व बेचने वालों के कोटपा एक्ट के उल्लंघन में चालान किए।

क्या है कोटपा एक्ट

कोटपा एक्ट के तहत कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक स्थानों पर तंबाकू के खुले हुए उत्पाद नहीं बेच सकता। 18 साल से कम उम्र वालों को तंबाकू उत्पाद नहीं बेचे जा सकते हैं। तंबाकू उत्पादों का प्रचार नहीं किया जा सकता है। स्कूल या कालेज के बाहर 100 सौ मीटर के घेरे अंदर तंबाकू उत्पाद नहीं बेचे जा सकते हैं। आचार्य सुनील शास्त्री ने करवाया हवन-यज्ञ देवीदास केवल कृष्ण चैरिटेबल ट्रस्ट में हुए अध्यात्म सत्यार्थ सत्संग व महामृत्युंजय महायज्ञ करवाया गया। इसके उपरांत हवन-यज्ञ में श्रद्धालुओं ने आहुतियां अर्पित कीं।

यज्ञ के आचार्य सुनील कुमार शास्त्री ने संसार को लेकर लोगों की अलग अलग धारणा के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि कुछ लोग संसार को बहुत अच्छा, बहुत सुंदर व बहुत सुखदायक बताते हैं। कुछ कहते हैं कि संसार बहुत खराब है। यहां पर बहुत अन्याय होता है। लोग इसी उलझन में अपना पूरा जीवन गुजार देते हैं। अंत तक उन्हें समझ में नहीं आता कि यह संसार कैसा है? लोगों की बातें जो भी हों फिर भी संसार को समझना बहुत आवश्यक है कि यह संसार कैसा है? क्योंकि आप और हम रहते तो इसी संसार में ही हैं। आइए, विचार करते हैं। यह ठीक है कि संसार में सुख तो है। सुख न होता तो लोग खाना-पीना कपड़े फैशन सैर-सपाटा मोटर गाड़ी सोना चांदी बंगला शादी आदि के पीछे क्यों भागते। यदि लोग इन सब बातों के पीछे भागते हैं, तो इससे पता चलता है कि इन वस्तुओं में कुछ तो सुख है। इसलिए हम यह मानते हैं कि संसार में सुख-दुख आते जाते रहते हैं। सुख तो वेदों के ज्ञान और प्रभु की भक्ति में है।


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