मार्गदर्शक गुरु को भुला देने से आता है जीवन में भटकाव
। पावन धाम हरिद्वार व गीता भवन के प्रमुख स्वामी वेदांत प्रकाश जी महाराज ने बुधवार को गीता भवन में व्यास पूजा के मौके पर चल रहे श्रीमद्भागवत ज्ञान सप्ताह के मौके पर प्रवचन किए।
जागरण संवाददाता.मोगा
पावन धाम हरिद्वार व गीता भवन के प्रमुख स्वामी वेदांत प्रकाश जी महाराज ने बुधवार को गीता भवन में व्यास पूजा के मौके पर चल रहे श्रीमद्भागवत ज्ञान सप्ताह के मौके पर प्रवचन करते हुए कहा कि बदलते दौर में हमने अपने जीवन में गुरु का महत्व, गुरु के साथ संबंधों की अनदेखी कर दी, या नकार दिया। यही वजह है कि आपके जीवन में भटकाव है।
उन्होंने कहा कि हमने दोस्ती का संबंध जिदा रखा, प्रेम का संबंध जिदा रखा, लेकिन जीवन के मार्गदर्शक व मुसीबतों से बाहर निकालने का रास्ता दिखाने वाले गुरु को छोड़ दिया, इसी कारण आज जीवन में भटकाव हर जगह देखने को मिल रहा है। जीवन का सत्य भी यही है गुरु के बिना जीवन अधूरा है। खुशियां देते हैं हमारे परंपरागत त्योहार
हरिद्वार से पहुंचे स्वामी वेदांत प्रकाश जी महाराज ने छोटे-छोटे वृतांतों के माध्यम से युवा पीढ़ी को उन्हीं की भाषा में गुरु के संबंधों की विस्तार से जानकारी दी। स्वामी वेदांत प्रकाश जी ने पौराणिक काल से आज के दौर पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि पुरातन काल में राजा महाराजा ही नहीं, ऋषि-मुनि भी इसी परंपरा का पालन करते रहे थे। सुविधा संपन्न होने के बावजूद वे इस परंपरा को यूं नहीं मानते थे, उसमें जीवन था, सच्चाई थी, इसलिए मानते थे। तब जीवन अनुशासित था। आज जीवन में भटकाव है, नौजवान आत्महत्याएं कर रहे हैं, क्योंकि हमने खुद को अपने जीवन के मार्गदर्शक से दूर कर लिया। विपत्तियों से बाहर निकालने का रास्ता दिखाने वाली गुरु-शिष्य परंपरा को भुला दिया। हमने अपने तीज त्योहारों को औपचारिक बना दिया, जो हमें खुशियां देते थें। पर्यावरण की शुद्धता को बनाए रखती थीं, फादर्स डे, मदर्स डे, वेलेंटाइन जैसी नई परंपराओं को अपना लिया, जो जीवन में कुछ पलों के लिए आनंद देती हैं, लेकिन पल भर में जीवन का वह आनंद अंधकार में डूब जाता है। स्वामी वेदांत प्रकाश ने युवाओं को नसीहत दी कि जीवन को सफल बनाना है तो गुरु शिष्य परंपरा को फिर से जीवन में धारण करना पड़ेगा। स्वयं प्रकाशवान ही दूसरों को प्रकाश दिखा सकते हैं
हरिद्वार से ही पहुंचे स्वामी सागर जी महाराज ने प्रवचन करते हुए कहा कि आध्यात्मिक शांति, धार्मिक ज्ञान और सांसारिक निर्वाह सभी के लिए गुरु का दिशा निर्देश बहुत महत्वपूर्ण होता है। गुरु केवल एक शिक्षक ही नहीं है, अपितु वह व्यक्ति को जीवन के हर संकट से बाहर निकलने का मार्ग बताने वाला मार्गदर्शक भी है। स्वयं प्रकाशवान ही दूसरों को प्रकाश दिखा सकते हैं।
कृष्ण लीलाओं का किया बखान
श्रीमद भागवत महापुराण कथा करते हुए पंडित पवन गौतम ने कहा कि परमात्मा की प्रत्येक लीला में गूढ़ रहस्य छुपे होते हैं जिसे प्रभु कृपा से ही जाना जा सकता है। कृष्ण लीलाओं की कथा करते हुए उन्होंने कहा कि एक बार यशोदा कृष्ण जी को माखन चोरी न करने को कह रही थीं। अचानक चूल्हे पर रखे हुए दूध को उबलता छोड़कर चली गईं। श्रीकृष्ण ने दूध वाली मटकी को फोड़ दिया। जिसे देखकर यशोदा क्रोध में भरकर कृष्ण जी को बांधने का यत्न करने लगी। जो भी रस्सी माता यशोदा लाती वह दो उंगल छोटी रह जाती। परमात्मा समस्त संसार के बन्धन को काटते हैं। परमात्मा की कृपा से प्राणी के जन्म-मृत्यु, सुख-दुख रूपी बन्धनों का नाश होता है परन्तु प्राणी माया के वश होकर परमात्मा को बांधने का यत्न करता है जिससे उसे सफलता प्राप्त नहीं होती। प्रभु को अभिमान, अहंकार या ज्ञान से बांधा नहीं जा सकता। प्रभु को केवल प्रेम, भक्ति एवं समर्पण भाव से ही हम बांध सकते हैं।
पूरे आयोजन की व्यवस्थाएं पवन अग्रवाल, सुरिदर गोयल, रविदर सूद, सुनील गर्ग एडवोकेट, बालकृष्ण गोगी संभाल रहे हैं। पवन अग्रवाल ने बताया कि स्वामी चिन्मयानंद जी महाराज के निर्देशन में ये आयोजन सफलता पूर्वक चल रहा है।