खुलने के एक घंटे बाद ही बंद करने पड़े बैंक
जिले मजिस्ट्रेट द्वारा निर्धारित समय पर बैंक की शाखाओं को खोलने की अनुमति दी गई है।
तरसेम सचदेवा, कोटइसे खां
जिले मजिस्ट्रेट द्वारा निर्धारित समय पर बैंक की शाखाओं को खोलने की अनुमति दी गई है, ताकि निर्धारित समय पर जरूरतमंद लोग बैंक से रूपये प्राप्त कर सकें तथा अपनी जरूरतों को पूरा कर सकें। लेकिन इसमें भी प्रशासन को आमजन की भीड़ इकट्ठी होने के कारण दोहरी परेशानी से झूझना पड़ रहा है। कम समय बैंक भी अधिक लोगों को अपनी सेवाएं नहीं दे पा रहा है और संख्या अधिक होने पर बैंक को पुलिस द्वारा बंद करवा दिया जाता है। इसी कड़ी में कस्बा कोटइसे खां में जिला प्रशासन की हिदायतों अनुसार बैंक तो खोल दिए गए, लेकिन एक घंटा चले ड्रामे के बाद बैंकों को बंद कर दिया गया। बता दें कि सुबह 11 बजे कस्बे में स्थित बैंकों की शाखाओं को खोल दिया गया। जैसे ही कस्बे में बैंकों के खुलने की सूचना मिली तो कस्बे समेत गांवों से भी लोगों को आना शुरू हो गया और देखते ही देखते बैंक में भीड़ जमा हो गई। एक घंटे में ही भीड़ अधिक होने पर पुलिस प्रशासन को इसका सूचना मिली तो एसएचओ जसविद्र के प्रतिनिधि के तौर पर पहुंचे मुख्य मुंशी अनमोल सिंह ने अपनी टीम सहित सबसे पहले एसबीआई बैंक की शाखा को बंद करवाया, उसके बाद अन्य बैंकों की शाखाओं को बंद करवाया।
- पीएनबी बैंक के सामने लोगों ने किया हंगामा
पीएनबी बैंक की शाखा भी निर्धारित समय पर खुली गई थी, लेकिन जैसे-जैसे लोगों की भीड़ इकट्ठा होने लगी तो बैंक कर्मियों की भी परेशानी बढ़ने लगी और मौके पर पुलिस भी पहुंच गई तथा बैंक की शाखा को बंद करने के लिए डीसी की ऑडियों सुनाई, तो बैंक की शाखा को बंद कर दिया गया। लेकिन ऐसा होने पर वहां पर मौजूद सुंदर नगर निवासी बलबीर सिंह व अन्य लोगों ने रोष जताते हुए हंगामा शुरू कर दिया तथा आरोप लगाया कि बैंक कर्मियों ने अपने चहेतों रूपये दिए है। वहीं बैंक मैनेजर पिटू यादव ने इस आरोप को सिरे से नकार दिया तथा जिस बिल्डिग में बैंक की शाखा है उसके मालिक के अंदर आने की बात कही। इनसेट
बिना पेंशन लिए लौट गए बुजुर्ग दंपती
सोमवार को बैंक खुलने पर कर्फ्यू के दौरान अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पैंशन लेने वालों की भी बैंक में भीड़ देखने को मिली, जिसमें गांव नसीरपुर जानिया से रामस्वरूप व उसकी पत्नी रिक्शा पर सवार होकर बैंक पहुंचे थे, लेकिन बैंक के सामने भीड़ देखकर वें रिक्शा से ही नहीं उतरे और घर लौट गए।