जीवन के दो किनारे हैं सुख व दुख : शास्त्री
संवाद सहयोगी, मोगा : जीवन दो विपरीत ध्रुवो के मध्य चलायमान रहता है। सुख और दु:ख, हानि और लाभ, यश और
संवाद सहयोगी, मोगा : जीवन दो विपरीत ध्रुवो के मध्य चलायमान रहता है। सुख और दु:ख, हानि और लाभ, यश और अपयश, जीवन और मृत्यु आदि यह नदी के दो अलग न होने वाले किनारे हैं। लेकिन हमें यह निश्चित करना है किस किनारे पर खड़े है। यह विचार स्थानीय देवी दास केवल कृष्ण चैरिटेबल ट्रस्ट के राज नंदनी हाल में सायं काल के सत्संग दौरान आचार्य सुनील शास्त्री ने व्यक्त किए।
सुनील शास्त्री ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन से ही सूर्य की गति उत्तरायण की ओर प्रारम्भ होने लगती है। इस पर्व को उत्तरायणी भी कहते है। दिन बड़े होने लगते हैं। यह पर्व दान पुण्य के लिए अति लाभदायक है। उन्होंने कहा कि हमे बेटियों को सम्मान देकर सकारात्मक की भूमिका निभानी चाहिए। इस दौरान भजन गायकों ने बन्दा बन्दगी बगैर किसे कम दा नइयो ., जेकर प्रभु नाम दिल विच वसदा नइयो. ,जैसे भजनो से भक्ति रस बिखेरा। इससे पहले रोजाना की तरह प्रात यज्ञ किया गया।