पुलिस से करार कर भी नहीं कम हुआ धान की नाड़ को आग लगाने का क्रम
हर साल की तरह इस साल भी किसान अपनी गेहूं की नाड़ को आग लगाने से बाज नहीं आए।
नानक सिंह खुरमी, मानसा : हर साल की तरह इस साल भी किसान अपनी गेहूं की नाड़ को आग लगाने से बाज नहीं आए। वर्ष 2018 में मानसा प्रशासन ने गेहूं की नाड़ को आग लगाने वाल जिले के सैंकड़ों किसानों खिलाफ एफाआइआर दर्ज की थी, जबकि अगले साल कुछ कम मामले दर्ज हुए थे। इस साल भी सैकड़ों की संख्या में जिले के किसानों के खिलाफ नाड़ को आग लगाने संबंधी मामले दर्ज किए गए हैं।
सरकार सैटेलाइट के माध्यम से किसानों पर नजर रख रही है, लेकिन मानसा जिले के तकरीबन प्रत्येक गांव में किसानों ने इस बार गेहूं के नाड़ को आग के हवाले कर दिया। पता चला है कि नाड़ को आग लगाने के चवले जिले के किसानो पर केस दर्ज किए जा रहे हैं। इसी के तहत मानसा में जिला प्रशासन की ओर से अप्रैल से मई माह के मध्य तक करीब 325 मामले दर्ज किए गए हैं। प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए उक्त किसानों की जमीन के कागजात पर रेड लाइन लगाई व जुर्माने भी किए।
उल्लेखनीय है कि अप्रैल माह में जिले के किसान नेताओं व विभिन्न जत्थेबंदियों के पदाधिकारियों ने जिला पुलिस मुखी मानसा के साथ हुई एक बैठक के दौरान विश्वास दिलाया था, कि वह अपने खेतों में धान व गेहूं की फसलों की नाड़ को आग नहीं लगाएंगे, लेकिन धान की नाड़ को आग लगाने का सिलसिला जारी है।
एसएसपी मानसा डॉ. नरेंद्र भार्गव ने कहा कि जिले के 242 गांवों में तकरीबन हर एक गांव में नाड़ जली पाए जाने पर उक्त सभी किसानों खिलाफ केस दर्ज किए गए हैं। पिछले तीन साल में किसानों पर दर्ज हुए मामले
साल 2018 में 387, साल 2019 में 353 व साल 2020 में मई 2020 के मध्य तक जिले के किसानों खिलाफ 325 केस दर्ज किए गए हैं।
रोक के बावजूद किसान गंभीर नहीं : राम सरूप
मुख्य कृषि अधिकारी मानसा राम सरूप ने कहा है सरकार ने धान व गेहूं की पराली और नाड़ को आग लगाने पर प्रतिबंध लगा रखा है। इसके बावजूद किसान अपने खेतों को जल्द खाली कर दूसरी फसलों के लिए तैयार करने के उद्देश्य से इसे आग लगा देते है। इस साल भी कृषि विभाग व सरकार ने पुलिस की मदद से किसानों को जागरूक किया, लेकिन किसान इसे गंभरीता से नहीं लेते।