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किसानों के लिए रोल मॉडल बना जिले का किसान अमरीक , खुद पराली नहीं जलाता, दूसरों को भी कर रहा जागरूक

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By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Oct 2018 07:12 PM (IST)Updated: Mon, 22 Oct 2018 07:12 PM (IST)
किसानों के लिए रोल मॉडल बना जिले का किसान अमरीक , खुद पराली नहीं जलाता, दूसरों को भी कर रहा जागरूक
किसानों के लिए रोल मॉडल बना जिले का किसान अमरीक , खुद पराली नहीं जलाता, दूसरों को भी कर रहा जागरूक

फोटो 02,03

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(जागरण विशेष- पराली का लोगो लगाया जाए)

नानक ¨सह खुरमी, मानसा : गांव जोईयां के किसान अमरीक ¨सह पराली को जलाए बिना ही खेतों से बेहतर उपज ले रहे है। वह दूसरे किसानों को भी पराली न जलाने की अपील करते हैं। इसके तहत वह राज्य के किसानों के लिए एक रोल मॉडल बना है।

गांव जोईयां के निवासी किसान अमरीक ¨सह पिछले दो साल से खुद पराली नहीं जलाते हैं तथा अन्य किसानों को आर्गेनिक खेती से जुड़कर जहर मुक्त खेती करने के बारे में जागरूक भी कर रहा है। वह राज्य का एक जागरूक किसान है। जोकि करीब दो साल से खेती विरासत मिशन से जुड़कर अपने खेतों में धान की पराली को आग नहीं लगाता है, तथा रोटावेटर के जरिए सीधी फसल बीजाई कर रहा है। साथ ही आर्गेनिक खेती से अपनी 25 एकड़ जमीन में से 10 एकड़ जमीन पर विभिन्न फसलें उगाकर लोगों को जहर मुक्त खेती का संदेश दे रहा है। वह जागरूक किसान होने पर खेती विरासत मिशन का जिला प्रधान है।

उसका कहना है कि पराली जलाने से दूषित हो रहे वातावरण के मद्देनजर वह खेती विरासत मिशन से जुड़ा। जिसमें उसने पाया कि किसान के लिए खेती विरासत मिशन में काफी जानकारियां है। जोकि किसानों को नहीं मिल पाती तथा इसमें उसने पाया कि अगर वह जहर मुक्त खेती करे तो भले ही एक साल फसल का झाड़ कम हो मगर साल फसल का झाड़ बढ़ जाता है, तथा उसकी फसल का भाव भी कई गुणा अधिक मिल जाता है,साथ ही वातावरण भी दूषित नहीं होता। इसके कई फायदे होने कारण उसने इसे अपनाया। उसका कहना है कि पंजाब में पेस्टीसाइड की जहरों की मार अधिक है। तथा इन जहरों का असर काफी समय रहता है। जिसके चलते उसने आर्गेनिक खेती को ही चुना। इसमें आर्गेनिक की गेंहू को ही ले लो जिसमें किसी प्रकार की कोई जहर नहीं होती। उसने बताया कि इसके लिए उसे कई लोगों के गेंहू के लिए फरवरी माह में ही गेंहू की बु¨कग हो जाती है। तथा फसल आने से पहले उसकी सारी फसल बिक जाती है। किसान अमरीक ¨सह ने कहा कि पराली को जलाए बिना बोई गई फसल में झाड़ अधिक निकलता है, ओर कीटनाशक दवा का प्रयोग भी कम होता है। जिससे उसे आर्थिक तौर पर लाभ मिलता है।


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