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सभी त्योहार प्रेम और प्यार के प्रतीक: सत्यप्रकाश मुनि

सत्य प्रकाश महाराज व सेवाभावी समर्थ मुनि महाराज ठाणे जैन सभा सरदूलगढ़ में चतुर्मास हेतु विराजमान हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 06 Nov 2021 08:38 PM (IST)Updated: Sat, 06 Nov 2021 08:38 PM (IST)
सभी त्योहार प्रेम और प्यार के प्रतीक: सत्यप्रकाश मुनि
सभी त्योहार प्रेम और प्यार के प्रतीक: सत्यप्रकाश मुनि

संस,सरदूलगढ़: संत शिरोमणि स्वामी फूलचंद महाराज व पंडित रतन श्री रण सिंह महाराज के सुशिष्य गरीबों के मसीहा गुरुदेव सुमति मुनि महाराज, ज्योतिषाचार्य उप प्रवर्तक सत्य प्रकाश महाराज व सेवाभावी समर्थ मुनि महाराज ठाणे जैन सभा सरदूलगढ़ में चतुर्मास हेतु विराजमान हैं।

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सत्य प्रकाश महाराज ने शनिवार को भाई दूज के अवसर पर प्रवचन करते हुए कहा के सभी त्योहार प्रेम और प्यार के प्रतीक हैं। आज का त्यौहार भाई और बहन के प्यार का प्रतीक है। दीवाली पांच त्योहारों को लेकर आती है, जिनमें धनतेरस, छोटी दीवाली, दीवाली, विश्वकर्मा डे व भाई दूज शामिल हैं, जो प्रेम और प्यार के प्रतीक हैं। समाज को जोड़ने का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि हमें भी समाज व परिवार को जोड़ने का काम करना चाहिए। समाज और परिवार फिर ही तरक्की की ओर जाया जा सकता है। इस अवसर पर जैन सभा के अध्यक्ष अभय कुमार जैन, महामंत्री नीटा जैन, कोषाध्यक्ष सोहन लाल जैन, महिला मंडल की अध्यक्ष सीमा जैन, मार्केट कमेटी के पूर्व उप चेयरमैन तरसेम जैन सेमी, नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष जितेंद्र जैन बाबी, दविदर जैन डिगी, पन्नालाल मास्टर, संजीव जैन गोठी, संजीव जैन बब्बू,मदन लाल गोठी, कुलवंत राय जैन एडवोकेट, दर्शन जैन प्रधान, हनी जैन, निखिल जैन, राहुल जैन आदि मौजूद थे। भगवान महावीर ने मैत्री भावना से प्राणी के सुख की कामना की: डा. राजेंद्र मुनि जैन सभा प्रवचन हाल में नूतन वर्ष प्रदीपदा के उपलक्ष्य में बोलते हुए डा. राजेंद्र मुनि ने भगवान महावीर निर्वाण एवं गौतम स्वामी के केवल ज्ञानी बनने का उल्लेख किया। जैन इतिहास में इन दोनों भव्य आत्माओं का महती श्रद्धा के साथ नाम स्मरण किया जाता है। आज जो कुछ भी जैन धर्म संबंधित विचार धारा प्रवाहित हो रही है वे इन्हीं की बदौलत हैं। उन्होंने कहा कि प्रभु महावीर की धर्म दर्शन की व्याख्या संप्रदाय तक सिमित न होकर विशव व्यापी रही है। जैन धर्म के सिद्धांत प्राणी मात्र के लिए उपकारी है। आज नूतन वर्ष पर मंगल कामनाएं की जाती है। संसार के सभी जीव सुखी रहें किसी को किसी भी प्रकार का कष्ट न सतावे। हमारी पावन परंपरा वसुधैव कुटुंबकम की रही है।


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