Move to Jagran APP

अपने अंदर छुपी बुराइयों का त्याग करें: मुनि सत्य प्रकाश

धर्म सभ को संबोधित करते हुए जैन संत सत्य प्रकाश मुनि ने दशहरे की महत्वता बारे बताय।

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Oct 2021 04:49 AM (IST)Updated: Sat, 16 Oct 2021 04:49 AM (IST)
अपने अंदर छुपी बुराइयों का त्याग करें: मुनि सत्य प्रकाश
अपने अंदर छुपी बुराइयों का त्याग करें: मुनि सत्य प्रकाश

संसू, सरदूलगढ़: दशहरे के पावन अवसर पर जैन सभा पुराना बाजार में धर्म सभ को संबोधित करते हुए जैन संत सत्य प्रकाश मुनि ने दशहरे की महत्वता बारे बताते हुए कहा कि रावण कोई बुरा व्यक्ति नहीं था, लेकिन उसकी एक बुराई ही उसके सारे परिवार को ले डूबी। इसलिए हमें भी अपने अंदर छुपी हुई बुराइयां का त्याग करना चाहिए।

loksabha election banner

उन्होंने कहा भगवान श्रीराम कि रावण के साथ कोई दुश्मनी नहीं थी, परंतु रावण को उसका अहंकार ही ले डूबा। महाराज ने कहा हमें अपनी पांच इंद्रियों चार कषाएं व एक मन इन 10 वस्तुओं को कंट्रोल में करना चाहिए। इसके अलावा इस दिन हमें 10 संकल्प भी करने चाहिए, जिनमें हमें अहंकार नहीं करना चाहिए। हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए और माफ करना चाहिए। ऐसे 10 संकल्पों को अपने जीवन में धारण करना चाहिए। फिर ही हमारे जीवन में सुधार आ सकता है। इस धर्म सभा में जैन सभा के अध्यक्ष अभय कुमार जैन, सचिव नीटा जैन, उपाध्यक्ष राकेश जैन, कोषाध्यक्ष सोहन लाल जैन, नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष जितेंद्र जैन, मदनलाल गोठी, एडवोकेट कुलवंत राय गोठी, सुरेंद्र कुमार जैन, पवन कुमार अग्रवाल, रतन लाल अग्रवाल, पवन कुमार जैन पूर्व एमसी, हनी जैन, निखिल जैन, महिला मंडल की अध्यक्ष सीमा जैन आदि मौजूद थे। दान, शील, तप, भाव ही मोक्ष के चार मार्ग: साध्वी शुभिता जैन स्थानक में साध्वी शुभिता महाराज ने धर्मसभा में कहा कि भावना से रहित आत्मा कितना भी प्रत्यन करे, वह मुक्ति प्राप्त नहीं कर सकता। मोक्ष प्राप्ति के चार प्रमुख मार्ग हैं दान, शील, तप और भाव। दान के साथ दान की शुद्ध भावना हो, तप करने में शुद्ध भाव हो शील (ब्रह्मचर्य) का पालन करने में भी सच्ची भावना हो।

साध्वी शुभिता ने कहा कि जिस तरह हवा के बिना अच्छे से अच्छा जहाज भी समुंदर में चल नहीं सकता, वैसे ही अच्छे से अच्छा चतुर साधक भी भाव के बिना संसार सागर को पार नहीं कर सकता। जिसकी जैसी भावना होती है उसी प्रकार की सिद्धि मिलती है। जो बांट कर नहीं खाता वह मोक्ष का अधिकारी नहीं। मोक्ष के चार द्वार कहे गए हैं। दान, शील, तप व भावना। उसमें दान का नाम भी सर्व प्रथम आया है, पर आज लोग दान देते हैं और अपना नाम बुलवाते हैं। हमें दान गुप्त रख कर देना चाहिए। इस प्रकार से किया दान आपके जीवन में एक नव क्रांति व रोशनी भर देगा। दान दीजिए आपके लिए स्वर्ग के दरवाजे खुल जाएंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.