एनएचएम कर्मियों की हड़ताल
एनएचएम के कर्मचारियों को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह की तरफ नानसेंस कहने पर विवाद पैदा गया है।
जागरण संवाददा, मानसा: कोरोना महामारी के समय फ्रट लाइन वर्कर बनकर मरीजों की सेवा करने वाले नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के कर्मचारियों को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह की तरफ 'नानसेंस' कहने पर विवाद पैदा गया है। भड़के एनएचएम कर्मचारियों ने मंगलवार को कामकाज बंद रख हड़ताल की। सिविल अस्पताल में मुख्यमंत्री व सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। हड़ताल के कारण मंगलवार को सिविल अस्पताल व अन्य हेल्थ सेंटरों में कामकाज पूरी तरह से प्रभावित रहा।
मानसा और बुढलाडा में एनएचएम कर्मियों ने हड़ताल की। सेहत विभाग का मुकम्मल काम बंद किया। वैक्सीनेशन और सैंपलिंग भी नहीं की। जिले की करीब 108 सेहत संस्थाओं में काम प्रभावित रहा। जिलाध्यक्ष रविद्र कमार ने बताया कि मुख्यमंत्री ने जायज मांग मानने के बजाय हड़ताल को बकवास कहा और नौकरी से निकालने की धमकी भी दी। धरने में सिविल सर्जन डा. सुखविद्र सिंह, डा. बलजीत कौर, डा. रणजीत राय, डा. विजय कुमार जिदल, डा. अर्शदीप सिंह ने भी समर्थन दिया। यहां यूनियन के प्रांतीय नेता अवतार सिंह, डा. विश्वजीत सिंह खंडा, जिला नेता जगदेव सिंह मान, रविद्र कुमार, लवली गोयल, वरिद्र मेहता, दमनप्रीत सिंह, सुखविद्र सिंह, दर्शन सिंह, संदीप सिंह, जगदेव सिंह, मनदीप सिंह, दीप कुमार, संतोष भारती, फुम्मण सिंह, राजवीर कौर, रेनु, डॉ. प्रदीप गुप्ता, मीनाक्षी, दीपशिखा, शरणजीत कौर व ललित कुमार आदि हाजिर थे। उधर, बठिंडा में यूनियन के नेता नरिदर कुमार ने बताया कि करीब नौ हजार कर्मी टीबी विभाग, लैपरेसी विभाग, आरसीएच प्रोग्राम के तहत पिछले 15 साल से काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें पक्का नहीं किया जा रहा। पिछले डेढ़ साल से उनके कर्मी कोविड-19 को लेकर जंग लड़ रहे हैं। इस दौरान उन्हें किसी तरह की सुविधा नहीं मिल रही है, बल्कि उनके कई कर्मी इस महामारी के शिकार हुए। वर्तमान में आउटसोर्सिंग के तहत काम कर रहे कर्मी, कंप्यूटर कर्मचारी, फार्मासिस्ट, स्टाफ नर्स, मल्टीपर्पज हेल्थ वर्कर, लैब टैक्निशियन हजारों की तादाद में काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें कम वेतन पर ही काम करवाया जा रहा है। इसमें करीब 500 कर्मचारी कोरोना पाजिटिव भी हुए। वहीं जिला कपूरथला की कर्मी सुरिदर कौर को उपचार करवाने में पांच लाख रुपये खर्च करना पड़ा। यह राशि उसने कर्ज उठाकर खर्च की, पर सरकार की तरफ से उसे किसी तरह की आर्थिक मदद नहीं दी गई। गुरदासपुर व जालंधर में तो कई कर्मी कोरोना की जंग में जान गंवा चुके हैं। इन तमाम स्थितियों में भी सरकार उनकी मांगों की तरफ ध्यान नहीं दे रही है, बल्कि उनका शोषण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दूसरी तरफ हरियाणा सरकार ने अपने कर्मचारियों को स्थायी कर्मचारी के बराबर वेतन व भत्ते दिए हैं, लेकिन पंजाब सरकार इसमें किसी तरह की दिलचस्पी नहीं ले रही है। कर्मचारियों ने सरकार को जगाने के लिए अब आंदोलन का रास्ता अपनाने का फैसला लिया है।
इस मौके पर डा. सुनील कुमार, गगनदीप सिंह, जसविदर शर्मा, दीपक कुमार, हरविदर कौर, अभिनीश कुमार, गुरदीप सिंह, डा. नवप्रीत सिंह, डा. सुमित मित्तल, रंजीत कौर, कृष्ण कुमार, अश्वनी कुमार, हरतेज भुल्लर आदि उपस्थित थे।