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बेटा हो गया कारगिल मेशहादत को प्यारा, मां कर रही मनरेगा से गुजारा

नानक ¨सह खुरमी, विनोद जैन/मानसा/सरदूलगढ़ : धन्य हैं वह माताएं जिन्होंने ऐसे बेटों को जन्म दिया जो दे

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 Aug 2018 07:57 PM (IST)Updated: Thu, 09 Aug 2018 07:57 PM (IST)
बेटा हो गया कारगिल मेशहादत को प्यारा, मां कर रही मनरेगा से गुजारा
बेटा हो गया कारगिल मेशहादत को प्यारा, मां कर रही मनरेगा से गुजारा

नानक ¨सह खुरमी, विनोद जैन/मानसा/सरदूलगढ़ : धन्य हैं वह माताएं जिन्होंने ऐसे बेटों को जन्म दिया जो देश की रक्षा करते हुए हंसकर कुर्बान हो गए। देश की आन, बान और शान के लिए शहादतें देने वाले बहादुर सपूतों के परिवारों को सहूलियतें और आर्थिक मदद करना सरकारों की जिम्मेदारी है परंतु सरकारें समय-समय पर करवाए जाते समागमों में शहीदों को याद तो कर लेती है परन्तु उनके पारिवारिक सदस्यों की सार लेना भूल जाती है। यही कारण है कि पारिवारिक सदस्यों को दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए मजदूरी करनी पड़ती है। ऐसी ही कहानी है मानसा जिले के गांव कुसला के 15 सिख लायट इन्नफैनटरी के कारगिल शहीद नायक निर्मल ¨सह कुसला की 85 साल वृद्धा मां जंगीर कौर की। जो सरकार द्वारा शहीद के अंतिम संस्कार के मौके पर ऐलान की सुविधाएं मुहैया न करवाने के कारण मनरेगा में मजदूरी कर पेट भरने के लिए मजबूर है।

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कारगिल के इस शहीद जवान के पिता वरयाम ¨सह की मौत होने के बाद माता जंगीर कौर ने लोगों के घरों और खेतों में मजदूरी करके निर्मल ¨सह को पढ़ाया जिससे वह उनके बुढ़ापे का सहारा बन सके मगर शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। शहीद निर्मल ¨सह की 85 वर्षीय माता जंगीर कौर आज गांव कुसला में गली से तीन फुट निचले एक कमरे के मकान में पुत्र की यादें संभाले हुए समय व्यतीत कर रही है।

बेटा हो गया भारत मां को प्यारा, बहू ने कर लिया किनारा

शहीद की माता ने दुखी मन से बताया कि उसका पुत्र 1999 में कारगिल की लड़ाई में शहीद हो गया। पुत्र के शहीद होने पर उसे नाज है। उन्होंने बताया कि निर्मल ¨सह का विवाह करमजीत कौर के साथ हुआ था। शहादत के बाद उसकी पत्नी करमजीत कौर छोड़ कर चली गई। शहीद के वारिसों को मिलने वाली सुविधाएं उसकी पत्नी ले रही है, जिसने कभी भी आ कर उनकी बात नहीं पूछी, जबकि वह दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है। जंगीर कौर गांव कुसला में ही गोद लिए दोहते जगसीर ¨सह के पास रह रही है।

सरकार ने नहीं जाना हाल-चाल, सुविधाएं देने की गुहार

पीड़ित माता ने कहा कि अब कई सालों से न तो उनको कोई सरकारी न्योता पत्र आया है और न ही उनके पुत्र के नाम पर बने क्लब प्रबंधकों ने उनका कोई मान सम्मान किया है। शहीद की मां ने मांग की है कि शहीद के वारिसों को मिलने वाली सहूलियतों में उसकी पत्नी के साथ-साथ मुझे भी मिलनी चाहिए।

कु छ दिनों में मिट गया शहीद के नाम का स्कूल

गांव वासी डूंगर ¨सह और सुखदेव ¨सह सिद्धू का कहना है कि शहादत के मौके पर मुख्यमंत्री प्रकाश ¨सह बादल ने उनके घर आकर स्कूल का नाम कारगिल शहीद नायक निर्मल ¨सह के नाम पर रखने का ऐलान किया था। स्कूल के मुख्य गेट पर शहीद का नाम लिख भी दिया था और स्कूल की मोहर भी शहीद के नाम वाली बनाई थी, परन्तु अब कुछ सालों से शहीद के नाम को मिटा दिया है, जिस कारण उनमें रोष पाया जा रहा है।

परिवार को मिल चुकी है आर्थिक मदद

एसडीएम सरदूलगढ़ लतीफ अहमद का कहना है कि पंजाब सरकार और केंद्र सरकार की तरफ से 9 लाख के करीब माता जंगीर कौर और 14 लाख के करीब आर्थिक मदद उसकी पत्नी करमजीत कौर को दी जा चुकी है। शहीद की मां की तरफ से मनरेगा में दिहाड़ी करने पर कहा कि सारा मामला डिप्टी कमिश्नर के ध्यान में लाकर योग्य मदद करने के लिए कार्रवाई करेंगे।

कहां गई सहायता राशि

शहीद निर्मल ¨सह की माता को सरकार द्वारा 9 लाख रुपए की आर्थिक मदद दी गई है वह राशि कौन खा गया। इसकी जांच के बाद ही पता चल पाएगा।


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