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गुरु के प्रति अथाह श्रद्धा का प्रतीक है गुरद्वारा बीर सिंह धीर सिंह

तलवंडी साबो में तख्त श्री दमदमा साहिब के पश्चिम साइड स्थित गुरद्वारा बाबा बीर सिंह धीर सिंह स्थित है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Apr 2021 09:52 PM (IST)Updated: Sat, 10 Apr 2021 09:52 PM (IST)
गुरु के प्रति अथाह श्रद्धा का प्रतीक है गुरद्वारा बीर सिंह धीर सिंह
गुरु के प्रति अथाह श्रद्धा का प्रतीक है गुरद्वारा बीर सिंह धीर सिंह

गुरजंट नथेहा, तलवंडी साबो

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तलवंडी साबो में तख्त श्री दमदमा साहिब के पश्चिम साइड स्थित गुरद्वारा बाबा बीर सिंह धीर सिंह स्थित है। इस पर हर रोज सैकड़ों लोग नत्मस्तक होने के लिए आते हैं। इस गुरुद्वारा साहिब की ऐतिहासिक महत्ता है, इसलिए बड़ी संख्या में लोग यहां पर श्रद्धा से आते हैं। बैसाखी के मेले के दौरान यहां लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से नतमस्तक होने के लिए आते हैं।

तख्त श्री दमदमा साहिब के हेड ग्रंथी गुरजंट सिंह ने कहा कि गुरुद्वारा बाबा बीर सिंह धीर सिंह में सिख श्रद्धालु अपने गुरु के लिए श्रद्धा का शीश निवाते हैं। गुरु साहिब द्वारा जहां भाई बीर सिंह व धीर सिंह को मान बख्शा गया, वहीं भाई डल्ल सिंह का हंकार भी यहीं पर तोड़ा गया था। ऐतिहासिक महत्व

एक बार जब श्री गुरु गोबिद सिंह जी तलवंडी साबो आए तो लाहौर निवासी मिस्त्री उदय सिंह ने उनको बंदूक भेंट की। उस समय गुरु साहिब के पास भाई डल्ल सिंह भी बैठे हुए थे। वह गुरु साहिब से शिकवा कर रहे थे चमकौर साहिब जैसी लड़ाई में उनको क्यों नहीं बुलाया गया। वह भी उनके लिए लड़ते। भाई उदय सिंह की बंदूक को देखते हुए गुरु साहिब ने उनको कहा कि बंदूक बहुत अच्छी है। अब इससे निशाना लगा कर देखना है। ऐसे करो भाई डल्ल सिंह आप सामने खड़े हो जाओ। हम निशाना लगा कर देखते हैं। यह सुन कर भाई डल्ल सिंह घबरा गया और उन्होंने अपील की कि उनको बख्शें। वह किसी अन्य चीज पर निशाना लगा कर देखें। इस पर उन्होंने तबेले में काम करने वाले बीर सिंह धीर सिंह को भाई डल्ल सिंह के सामने संदेश भेजा कि उनको बोलो गुरु साहिब ने निशाना लगाना है, वह वहां पर आ जाएं। जब बीर सिंह व धीर सिंह के पास संदेश पहुंचा तो वे एक-दूसरे से आगे निकलते हुए गुरु साहिब के पास आ गए। दोनों गुरु साहिब को अपील कर रहे थे कि गुरु साहिब उनके निशाना लगा कर देखें। भाई डल्ल सिंह अपनी आंखों के सामने यह सब कुछ होता हुआ देख रहे थे। वह हैरान हो गए कि कोई गोली खाने के लिए कैसे बंदूक के सामने खड़ा हो सकता है। जिस स्थान पर भाई बीर सिंह व धीर सिंह निशाने के लिए खड़े हुए थे वहीं पर गुरुद्वारा बाबा बीर सिंह धीर सिंह स्थापित किया गया है।


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