किसानों ने लिया संकल्प, नहीं जलाएंगे गेहूं की नाड़ , पर्यावरण संरक्षण में देंगे साथ
विश्व पृथ्वी दिवस पर धरती को बचाने का सरपंचों व किसान नेताओं ने फैसला लिया। उन्होंने कहा कि वह गेहूं की नाड़ नहीं जलाएंगे।
मानसा [नानक सिंह खुरमी]। विश्व पृथ्वी दिवस (World earth day) पर धरती को बचाने के लिए एक बड़ा फैसला लिया गया है। इससे प्रदूषण पर अंकुश लगेगा। जिले के सभी किसान संगठनों व ग्राम पंचायतों ने फैसला लिया है कि जिले में कहीं गेहूं की नाड़ में आग नहीं लगाई जाएगी। हालांकि इसका आदेश सरकार ने ही दे रखा है, लेकिन कानून के डंडे से आदेश लागू नहीं हो पा रहा था। इसे संभव कर दिखाया है डीसी गुरपाल सिंह चहल व एसएसपी डॉ. नरिंदर भार्गव ने। यह फैसला सूबे के बाकी किसानों को नई दिशा प्रदान करेगा।
नाड़ जलाने की समस्या को लेकर बुधवार को किसान संगठनों, राजनीतिक दलों और मानसा ब्लाकों के सभी सरपंचों की बैठक बचत भवन बुलाई गई। बैठक में शामिल सभी लोगों ने अपनी इच्छा से नाड़ को आग न लगाने का फैसला लिया। इस तरह मानसा पहला ऐसा जिला बन गया है, जहां अब खेतों में गेहूं की नाड़ नहीं जलेगी।
बैठक में पहले एसएसपी ने किसानों से अपील की कि वे इस बार गेहूं की नाड़ को आग लगाकर प्रदूषण न फैलाएं। उन्होंने सभी किसानों संगठनों व सरपंचों से इसमें सहयोग मांगा। सभी सरपंचों ने इसके लिए सहमति दे दी। किसानों की सहमति बनती देखकर बैठक में डीसी को भी आमंत्रित किया गया। किसानों को जागरूक करने के लिए स्व इच्छुक ग्रुप भी बनाया गया। बैठक में पीकेयू, भाकियू (डकौदा), भाकियू (उगराहा), भाकियू (कादियां) तथा कांग्रेस पार्टी, शिअद, आम आदमी पार्टी, सीपीआइ व सीपीएमएल और मानसा ब्लाक के सरपंचों और एनजीओ के सदस्य मौजूद थे।
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