नशा छोड़ने की दवा खरीदने के लिए नहीं थे पैसे, बेरोजगार युवक ने उठाया यह कदम
शहर के हैबोवाल एरिया के संधू नगर के युवक ने नशा छोड़ने की दवा के लिए पैसे नहीं होने से दुखी होकर फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली।
जेएनएन, लुधियाना। शहर के हैबोवाल एरिया के संधू नगर के युवक ने नशा छोड़ने की दवा के लिए पैसे नहीं होने से दुखी होकर फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली। वह पिछले कुछ समय से नशे की दवा ले रहा था, मगर अब पैसे नहीं होने के कारण उसने घर में ही पंखे से लटककर खुदकुशी कर ली। उसके शव का पोस्टमार्टम कर परिजनों के हवाले कर दिया गया है।
संधू नगर निवासी 34 वर्षीय हरदीप गोगना को काफी समय काम नहीं मिल रहा था। बेरोजगार रहने के कारण वह नशा करने लगा था। वह पहले सिविल अस्पताल के नशा छुड़ाओ केंद्र से दवा लेता था, मगर इससे उसको कोई असर नहीं पड़ा तो वह प्राइवेट अस्पताल से इसकी दवा लेने लगा था। वहां से उसे 400 रुपये की दवा दी जाती थी। वह इसे भी नशे के तौर पर इस्तेमाल करने लगा था। वह दो-दो दिन की दवा एक बार में ही खा लेता था। उसके बड़े भाई संदीप गोगना के अनुसार दो दिन से दवा नहीं मिली थी। इसके लिए उनके पास पैसे ही नहीं थे। उसकी मां ने आस-पड़ोस से पैसे इक्ट्ठा कर सोमवार को दो दिन की आठ सौ रुपये की दवा लेकर आनी थी, मगर रविवार की रात को ही उसने छत पर बने कमरे में पंखे से कपड़े के साथ लटककर खुदकुशी कर ली।सुबह जब मां उसे उठाने गई तो उसका शव पंखे से लटकता हुआ देखा। संदीप के अनुसार उसके पिता की मौत हो चुकी है और वह घर पर ही मशीनें लगाकर सर्दियों के कपड़े बनाते हैं। संदीप के अनुसार उसके दो बेटियां हैं और वह उनका गुजारा बड़ी मुश्किल से चलाता है। इस कारण वह उसके लिए दवा का बंदोबस्त नहीं कर पा रहे थे। इसी कारण ही उसके भाई ने खुदकुशी कर ली। थाना हैबोवाल पुलिस ने उसके शव का पोस्टमार्टम करवाने के बाद परिजनों को सौंप दिया है और उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया गया है।
मां को था बेटी की शादी का चाव और घर से उठी अर्थी
नशे ने एक ओर घर उजाड़ दिया है। हरदीप की मां का रो-रोक कर बुरा हाल था। वह यही कहती रही कि उसे बेटे की बारात का चाव था, मगर आज उसके घर से अर्थी उठ रही है।
काम नहीं होने के कारण करने लगा था नशा
हैबोवाल के संधू नगर के रहने वाले हरदीप के पिता की कुछ समय पहले ही मौत हो चुकी है। इसके बाद मां दो बेटों को घरों में काम कर पालती रही है। बड़ा बेटा संदीप घर पर मशीनें लगाकर गर्म कपड़े बनाता है और दूसरे के पास काम नहीं होने के कारण वह नशा करने लगा था। वह उसे सरकारी नशा छुड़ाओ केंद्र लेकर जाती थी मगर वहां से मिलने वाली दवा से उसे कोई फर्क नहीं पड़ा था और रोजाना वहां ले जाने की भी वह व्यवस्था नहीं कर सकते थे, इसलिए उनकी ओर से प्राइवेट अस्पताल से दवा ली जाती थी। मगर यहां इलाज काफी महंगा था।
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