कल से मिलेगा भक्ति का फल
अधिक मास 18 सितंबर से शुरू हो रहा है।
संस, लुधियाना : अधिक मास 18 सितंबर से शुरू हो रहा है। यह हर तीन साल में एक बार होता है। 19 साल के बाद आश्विन अधिक मास है। यानी इस साल दो आश्विन मास होंगे। इसके पहले 2001 में ऐसा संयोग बना था। अधिक मास से कई दुर्लभ योग बन रहे हैं, जो वैभव वृद्धि करने वाले हैं। वैसे तो अधिक मास भगवान विष्णु और कृष्ण की अराधना का है, लेकिन आश्विन मास होने के कारण ये लक्ष्मी की कृपा पाने का भी महीना है। आश्विन मास की पूर्णिमा लक्ष्मी के पृथ्वी पर आगमन की मानी गई है। इसे शरद पूर्णिमा भी कहते हैं। धर्म ग्रंथ कहते हैं कि अधिक मास में जप, तप, व्रत और दान अक्षय फल देते हैं। इनका पुण्य कभी खत्म नहीं होता। इस महीने में विष्णु के साथ लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए किए उपाय भी सुख-समृद्धि देते हैं।
पंडित वाइपी शर्मा के अनुसार अधिक मास में उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र रहेगा। यह तीव्र फल देने वाला होता है। इसमें महीने की शुरुआत शुभ और शीघ्र फल देने वाली रहेगी। वैभव संबंधी कार्य तेजी से परिणाम देने वाले होंगे। उस समय शुक्ल नाम का शुभ योग भी रहेगा। ये अपने नाम की तरह प्रकाश और शीतलता देता है। इसी तरह सोना-चांदी से लेकर मशीन और वाहन खरीद के कई मुहूर्त और शुभ योग बन रहे हैं।
प्रभु विष्णु व मां लक्ष्मी को प्रिय है कमला एकादशी
पंडित सत्यानारायण के अनुसार अधिक मास के दूसरे दिन 19 सितंबर को द्विपुष्कर योग है। 20 को स्वाति नक्षत्र, 21 को विशाखा नक्षत्र रहेगा। 26 को सर्वार्थसिद्धि योग व 27 सितंबर को कमला एकादशी है। इसे लक्ष्मी का दिन कहा जाता है। एकादशी भगवान विष्णु को भी प्रिय है।
गृहस्थों को ही मिलता वैभव
ज्योतिषाचार्य नितिश वर्मा के अनुसार अधिक मास को ग्रंथों ने ब्याज का समय कहा है। यह साल के 12 महीनों के अतिरिक्त मिला वक्त है। इसे पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। भगवान विष्णु को सृष्टि का संचालक माना गया है। वे गृहस्थ जीवन के देवता हैं। वे गृहस्थों को ही सारा वैभव देते हैं।