..जब डॉक्टर भी पहुंचे योग की शरण में
एक ओर जब पूरी दुनिया भारत के पारंपरिक योग का लोहा मान रही है वहीं भारतीय अभी तक इसमें पूरी तरह नहीं रम पाए।
जागरण संवाददाता, लुधियाना : एक ओर जब पूरी दुनिया भारत के पारंपरिक योग का लोहा मान रही है, वहीं भारतीय अभी तक इसमें पूरी तरह नहीं रम पाए। हालांकि कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिन्होंने योग से गंभीर बीमारी को भी मात देने में कामयाबी हासिल की है। ऐसे ही लोगों में एक हैं डॉ. मोहनलाल। लुधियाना के एसबीएस नगर में रहने वाले मोहन लाल पेशे से डॉक्टर हैं, लेकिन वह खुद घुटनों की बीमारी से लंबे समय तक परेशान रहे। मोहनलाल के अनुसार दस साल पहले बीमारी से काफी तंग थे और इसी दौरान मुलाकात भारत विकास परिषद के योग प्रशिक्षक मदान से हुई। वह उनके निवास पर पहुंचे और कहा कि घुटनों के कारण जमीन तो क्या कुर्सी पर भी नहीं बैठ पा रहे हैं। पूरा शरीर झुका भी नहीं पा रहे। इस पर योग प्रशिक्षक ने सुबह ट्रेनिग सेशन में आने को कहा।
डॉ. मोहनलाल के अनुसार सुबह योग शिविर में पहुंच गए। इसके बाद चार साल तक नियमित रूप से योग का अभ्यास किया। इस दौरान पहले तो कुर्सी पर आराम से बैठने लगे। इसके बाद शरीर झुकाने के अलावा जमीन पर चौकड़ी मारकर बैठने लगे। दस साल से घुटनों का दर्द व अन्य समस्याओं को भूल चुके हैं। अभ्यास के दौरान पदमासन भी करने लगे।
खुद योग करते हुए प्रशिक्षक बन गए
डा. मोहन लाल कहते हैं कि योग ने उनकी जीवन शैली बदल डाली। भले ही मैं पेशे से डाक्टर हूं, लेकिन स्वस्थ होने के बाद मुझे लगा कि जिस योग ने उसे स्वस्थ किया, उसे जन-जन तक पहुंचाना चाहिए। इसी दौरान वह खुद अभ्यास करने के साथ योग शिविर में लोगों को इससे जोड़ने लगे। आज वह लोगों को फ्री योग प्रशिक्षण देने के अभियान में पूरी तरह शिरकत कर रहे हैं।