इस महिला ने 16 दिन तक लड़ी जंग, इच्छाशक्ति के आगे कोरोना ने तोड़ा दम
गुरदेव नगर निवासी महिला ने 16 दिन तक दयानंद मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में अकेले रहकर कोरोना को हराया। महिला अब संक्रमण मुक्त हो चुकी है।
लुधियाना,[आशा मेहता]। इच्छाशक्ति अगर मजबूत हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है, बड़ी से बड़ी मुसीबत से लड़ा जा सकता है। यह साबित कर दिखाया है शहर की पहली कोरोना पॉजिटिव महिला ने। गुरदेव नगर निवासी महिला ने 16 दिन तक दयानंद मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में अकेले रहकर कोरोना को हराया। महिला अब संक्रमण मुक्त हो चुकी है।
पटियाला राजिंदरा अस्पताल की जांच में लगातार उनकी दो रिपोर्ट निगेटिव मिलने के बाद बुधवार दोपहर तीन बजे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। दो सप्ताह से अधिक समय तक आइसोलेशन में रहने के बाद महिला ने जब अपने बेटे, पति व परिवार के दूसरे सदस्यों को देखा तो सभी की आंखों में एकाएक आंसू भर आए। हालांकि परिवार की आंखों में कोरोना से जंग जीतने की खुशी भी नजर आ रही थी।
घर के लिए निकलने से पहले महिला ने आइसोलेशन वार्ड के सभी डॉक्टरों, नर्सों का आभार जताया। महिला अब 14 दिन तक होम क्वारंटाइन रहेंगी। घर पर ही चिकित्सकों के परामर्श को अमल में लाएंगी। सामान्य एंटीबायोटिक के अलावा विटामिन व कमजोरी दूर करने वाली दवाएं लेंगी। 14 दिन बाद फिर से उनका चेकअप होगा।
परिस्थितियां कैसे भी क्यों न हो, कभी हिम्मत को टूटने न दें
दैनिक जागरण से बातचीत में महिला ने कहा कि परिवार से मिले हौसले और अपनी मजबूत इच्छा शक्ति की बदौलत कोरोना वायरस को हरा सकी। दुख, तकलीफ, मुसीबत और बीमारी कभी भी दबे पांव दस्तक दे सकती हैं। ऐसे में जरूरी है कि हम अपनी हिम्मत को टूटने न दें। स्वयं पर विश्वास, सही और सकारात्मक सोच, शारीरिक ऊर्जा और अपनी आंतरिक शक्तियों को उपयोग करके हम तरह की परिस्थितियों का सामना कर सकते हैं। मैंने भी यही किया। लोगों से यहीं कहना चाहूंगी कि कोरोना जैसे लक्षण नजर आएं, तो डरे नहीं। अस्पताल जाकर जांच करवाएं। इस बीमारीी को मात दी जा सकती है।
घर वालों से वीडियो कॉल पर मिलता रहा हौसला
नॉर्मल फ्लू की शिकायत होने पर गुरदेव नगर निवासी महिला चेकअप के लिए गई थी। कुछ संदिग्ध लक्षण महसूस होने पर चिकित्सकों के परामर्श के अनुसार 23 मार्च को अस्पताल में भर्ती हो गई। 24 मार्च को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। महिला के बेटे के अनुसार आइसोलेशन वार्ड में इलाज कर रहे चिकित्सकों व नर्सिंग स्टाफ के अलावा किसी को भी जाने इजाजत नहीं थी। उनकी मां सोलह दिन तक अकेले आइसोलेशन वार्ड में रहीं। इस दौरान उनके साथ केवल फोन था। फोन पर वीडियो कॉल करके हम एक दूसरे को हिम्मत देते थे। मां हमें समझाती थी कि डरने की जरूरत नहीं और हम उन्हें समझाते थे कि कोरोना की जंग हमें हर हाल में जीतनी है। मां ने फाइट की और कोरोना को हरा दिया। मां पर गर्व है।
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