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शारीरिक कमियों को नहीं बनने दिया कमजोरी, बुलंद इरादों से हासिल की कामयाबी

लो विजन आंशिक रूप से सेरेबल पाल्सी व ब्रेन की नवर्स सहित कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे जोय ने बारहवीं कक्षा के परिणाम में 79 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं।

By Sat PaulEdited By: Published: Mon, 13 May 2019 01:37 PM (IST)Updated: Mon, 13 May 2019 01:37 PM (IST)
शारीरिक कमियों को नहीं बनने दिया कमजोरी, बुलंद इरादों से हासिल की कामयाबी
शारीरिक कमियों को नहीं बनने दिया कमजोरी, बुलंद इरादों से हासिल की कामयाबी

जेएनएन, लुधियाना। हौसले बुलंद और इरादे नेक हों तो मंजिल मिल ही जाती है। कुछ ऐसा ही साबित किया है जोय गुप्ता ने। जन्म से ही लो विजन, आंशिक रूप से सेरेबल पाल्सी व ब्रेन की नवर्स सहित कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे जोय ने पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड की ओर से घोषित किए गए बारहवीं कक्षा के परिणाम में 79 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं। जोय की इस उपलब्धि पर मां डॉ. रितु मित्तल गुप्ता व पिता लोकेश गुप्ता बेहद खुश हैं।

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उनका कहना है कि इतनी समस्याएं होने के बाद भी उनके बेटे ने जितने अंक हासिल किए हैं, उस पर उन्हें गर्व है। उनके बेटे ने साबित किया है कि परिस्थितियां कैसी भी हों, कभी हार नहीं माननी चाहिए। उधर, एकता पब्लिक स्कूल के स्टूडेंट रहे 19 वर्षीय जोय गुप्ता ने अपनी इस उपलब्धि का श्रेय स्कूल के टीचर्स और मां रितु को दिया। जोय ने बताया कि लो विजन की वजह से वह स्कूल में ब्लैक बोर्ड को नहीं देख पाता था। बुक्स पर लिखे हुए नॉर्मल साइज के फॉन्ट के अक्षरों को पढ़ नहीं पाता था। लर्निंग में उन्हें कोई दिक्कत नहीं थी। मां ने कभी भी उनकी शारीरिक कमियों को कमजोरी नहीं बनने दिया।

नौ वर्षीय जोय गुप्ता अपने परिवार के साथ।

जोय बताते हैं कि उनकी मां पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के होम साइंस विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। जब भी वह पढ़ाने बैठती थी तो किताबों में दिए पाठयक्रम के फोंट साइज बड़े करवाकर पढ़ाती थी, क्योंकि लो विजन की वजह से छोटे फोंट के अक्षर नजर नहीं आते थे। देर रात तक जागते हुए वह तस्वीरों, वीडियो व प्रैक्टिकल के जरिए हर विषयों को बड़े सहज ढंग से पढ़ाती रही। इसी वजह से उन्हें समझने में कभी दिक्कत नहीं आई। राइटर की मदद से उन्होंने 12वीं की परीक्षा दी। जोय कहते हैं कि मां की बदौलत ही आज वह इतने अच्छे अंक ले सका है।

मुश्किलों से हार नहीं माननी चाहिए

जोय ने कहा कि जन्म से ही लो विजन व ब्रेन के नवर्स सिस्टम में प्रॉब्लम थी। मैंने अपनी फैमिली की स्पोर्ट से इसे स्वीकार किया और बीमारी के आगे हिम्मत नहीं हारी, क्योंकि मेरा मानना है कि अगर आपके अंदर सच्ची लगन हो तो कोई भी बाधा कमजोर नहीं बना सकती। आप जो करना चाहते हैं, वो कर सकते हैं।

देश के लिए क्रिकेट खेलने की ख्वाहिश

जोय ने बताया कि उन्हें क्रिकेट खेलना बेहद पसंद हैं। वह क्रिकेट अकादमी में कोचिंग भी ले रहा है। देश के लिए क्रिकेट खेलना उनका सपना है। हालांकि बारहवीं के बाद वह बीसीए करेगा।

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