हम सब कुदरत के गेस्ट है : अचल मुनि
हम सब कुदरत के गेस्ट है। हम गेस्ट की हैसियत से रहना है। अगर हमें गेस्ट की हैसियत से रहना आ गया तो संसार बुरा नहीं है।
संस, लुधियाना : हम सब कुदरत के गेस्ट है। हम गेस्ट की हैसियत से रहना है। अगर हमें गेस्ट की हैसियत से रहना आ गया तो संसार बुरा नहीं है। मगर दुर्भाग्य से हम मेहमान की हैसियत, तौर तरीके, भूल गए है। हम मेहमान के बजाय अपने को मालिक समझ बैठे है। अरे मेहमान को मेहमान की तरह रहना चाहिए। यह उक्त पंक्तियां एसएस जैन सभा शिवपुरी के तत्वाधान में आयोजित सभा में अचल मुनि महाराज ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भूख और प्यास रोग है। तो अन्न और जल उसका उपचार। भोजन करिए, लेकिन भजन को मत भूलिए। उन्होंने कहा कि पसीना बहाना सीखिए। बिना पसीना बहाए जो हासिल होता है, वह पाप की कमाई है। व्याज मतखाइए। व्याज पाप की कमाई है। क्योंकि इसमें पसीना नहीं बहाना पड़ता, लेकिन हम बडे़ चतुर है, हमने व्याज खाना तो छोड़ दिया, लेकिन व्याज खाना जारी है। व्याज खाना प्याज खाने से बहुत बड़ा पाप है। भरत मुनि महाराज ने कहा हमेशा याद रखो जो तुम देते हो वहीं तुम पर लौटकर आता है। और कई गुणा होकर लौटता है। हर किसान यह नियम जानता है, मानता है, और इस पर काम करता है। वह खेत में अच्छे व बेहतरीन बीज बोता और परिणाम देखता है। फल आने का इंतजार करता है। संसार तो एक प्रतिध्वनि मात्र है। जो आज संसार को दोगे, वहीं संसार आपको वापस लौटाकर देगा।