कुएं और तालाब गायब, 300 फीट नीचे तक गिरा जलस्तर
सचिन आनंद, खन्ना खन्ना शहर और आसपास के गांवों में आज से करीब 40 साल पहले पानी केवल 40 से 50 फीट नी
सचिन आनंद, खन्ना
खन्ना शहर और आसपास के गांवों में आज से करीब 40 साल पहले पानी केवल 40 से 50 फीट नीचे पर मिलता था। शहर के कई मोहल्लों में कुएं थे। खुली जगहों पर लोगों ने तालाब बना दिए थे। हैंडपंप तो जैसे बीते जमाने की बात हो चला है। इसका कारण है पानी का करीब तीन सौ फीट नीचे तक चले जाना। कुएं और तालाब भी गायब हो गए हैं। पीने लायक पानी 275 फीट के बाद ही मिल पाता है।
शहर में कुओं का वजूद भले ही खत्म हो गया हो, लेकिन भूतकाल में इनके महत्व का इससे ही पता लगाया जा सकता है कि शहर के कई इलाके आज भी जीता ¨सह वाली खुआं और पहलवानों का कुआं के इलाकों के नाम से जाने जाते हैं। कुएं लोगों की रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा थे। पानी के लिए लोग उस पर ही निर्भर थे। लेकिन, पानी का स्तर नीचे जाते ही कुओं का वजूद खत्म हो गया और वे अब केवल एक इलाके के नाम के रूप में ही रह गए हैं।
इसी तरह शहर के बाहरी इलाकों भट्टियां, खन्ना खुर्द, करतार नगर जैसे इलाकों में तालाब भी थे। इन तालाबों को भी घटता जलस्तर खत्म कर गया। जमाना सबमर्सिबल पंपों का आ गया है। घर-घर आ चुके सबमर्सिबल पंपों का बोर भी अब 300 फीट होने लगा है। घटता जलस्तर वाकई ¨चता का विषय है।
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-पहले पानी के लिए हम कुओं पर ही निर्भर थे। फिर समय के साथ हैंडपंप आते गए। पानी का स्तर इतना था कि कुछ जमीन में गाड़ने के लिए गड्ढा करते थे तो पानी निकल आता था। लेकिन अब पानी इतना नीचे चला गया है कि कुओं का तो कुछ पता ही नहीं। सबमर्सिबल का भी हर 2-3 साल में और नीचे तक बोर करना पड़ता है।
सरूप चंद नागपाल, बुजुर्ग, खन्ना। फोटो - 5
-गांवों में तालाब और कुएं विरासत और संस्कृति का एक हिस्सा थे। लेकिन, घटते जलस्तर के बाद इनका वजूद खत्म हो गया। खेतों में ¨सचाई के लिए मोटरें आ गई। इनका भी कुछ सालों बाद बोर और गहरा करना पड़ता है। कुएं ढक दिए गए हैं। वे अब केवल बुजुर्गो के बैठने की जगह बन गए हैं। आने वाले समय में घटते जलस्तर के और खतरनाक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
-मोहन ¨सह ढिल्लों, बुजुर्ग, गांव हरेओं।