स्वच्छ भारत की आड़ में विज्ञापनों से भरी दीवारें, सरकार को लग रहा लाखों रुपये का चूना
जिस नेशनल हाईवे पर एक होर्डिंग्स लगाने तक की मनाही है उस हाईवे पर बने फ्लाई ओवर पर समाजसेवा और स्वच्छ भारत के नाम पर विज्ञापन लगाए जा रहे हैं।
खन्ना, [सचिन आनंद]: जिस नेशनल हाईवे पर एक होर्डिंग्स लगाने तक की मनाही है उस हाईवे पर बने फ्लाई ओवर पर समाजसेवा और स्वच्छ भारत के नाम पर विज्ञापन लगाए जा रहे हैं। इससे जहां नियमों को ताक पर रखा जा रहा है, वहीं सरकार को विज्ञापन फीस के रूप में भी लाखों रुपये का चूना लगाया जा रहा है। हैरानी को बात है कि सरेआम हो रही इस लूट से नगर कौंसिल के अधिकारी मूकदर्शक बने बैठे हैं। खन्ना शहर में प्रवेश करते ही नेशनल हाईवे पर बने फ्लाई ओवर में दोनों तरफ पेंटिंग के जरिए बड़े-बड़े विज्ञापन बनाए जा रहे हैं। स्वच्छ भारत के नाम पर कहीं स्वच्छ भारत तो कहीं पर्यावरण सुरक्षा के संदेश दिए जा रहे हैं लेकिन ना तो इनका कोई मापदंड है और न ही कोई पैमाना। यह भी स्पष्ट नहीं कि कितनी जगह पर संदेश होगा और कितनी जगह पर विज्ञापन।
दीवारों को रंगीन कर बनाए जा रहे ज्यादातर विज्ञापन आइलेट्स इंस्टीट्यूट्स के हैं जो समाजसेवा का संदेश देने के नाम पर लाखों रुपये की विज्ञापन फीस को डकार रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि इस मामले में भी एक माफिया शहर में काम कर रहा है। जो इस तरह की इजाजत इन इंस्टीट्यूट्स को दिलाता है।
नेशनल हाईवे पर क्यों नहीं लगा सकते हैं विज्ञापन
नेशनल हाईवे पर विज्ञापन नहीं लगाने की मनाही का कारण अहम है। सरकार का मानना है कि हाईवे पर चलने वाले वाहनों के चालकों की नजर इन विज्ञापनों पर जाने से हादसों को बढ़ावा मिलता है। इसी वजह से खन्ना नगर कौंसिल ही कई बार हाईवे के होर्डिग्स पर सख्ती कर चुकी है। हाईवे की दीवारों पर भी किसी तरह के विज्ञापन नहीं लग सकते। लेकिन, इन फ्लाईओवर पर लगातार किए जा रहे विज्ञापन पर कोई रोक नहीं लगाई जा रही।
कौंसिल के प्रधान और ईओ ने नहीं उठाया फोन
इस संबंध में खन्ना नगर कौंसिल के प्रधान विकास मेहता और ईओ रणबीर सिंह से फोन पर संपर्क साधने का प्रयास किया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। मेहता ने फोन काट दिया जबकि ईओ रणबीर सिंह का फोन नो रिप्लाई आता रहा।
कुछ लोगों की जेब गर्म की जा रही : पीडी बांसल
इस सारे मामले में कईं सवाल शहर के लोग ही उठाते हैं। लोक सेवा क्लब खन्ना के प्रधान पीडी बांसल का कहना है कि दीवारों पर विज्ञापन लिखवाने के एवज में कौंसिल से मिल रही परमिशन के लिए टेबल के नीचे से कुछ लोगों की जेबें गर्म की जा रही हैं। अगर इन विज्ञापनों की सरकारी रेट से फीस भी ली जाए तो लाखों रूपए का रेवेन्यू सरकार को मिल सकता है।
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