Civil Hospital में मरीजों की सुरक्षा खतरे में, सेहत मंत्री के आदेशों के बाद भी नहीं बनी दीवार Ludhiana News
पीएचएससी की अनदेखी के चलते दो वर्ष पहले ढही मोर्चरी के पीछे की दीवार आज तक नहीं बन सकी। ये हालात तब है जब खुद दो बार सेहत मंत्री इस दीवार को बनवाने के लिए कह चुके हैं।
लुधियाना, [आशा मेहता]। पंजाब हेल्थ सिस्टम कारपोरेशन (पीएचएससी) का हाल देखिए। एक तरफ तो पीएचएससी करोड़ों रुपये की लागत से जिले में सरकारी अस्पतालों की नई इमारतें खड़ी कर रहा है। दूसरी तरफ जो सरकारी अस्पताल खस्ताहाल है, उनकी स्थिति में सुधार लाने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा। इन्हीं खस्ताहाल अस्पतालों में एक है जिले का सिविल अस्पताल।
पीएचएससी की अनदेखी के चलते दो वर्ष पहले ढही मोर्चरी के पीछे की दीवार आज तक नहीं बन सकी। ये हालात तब है, जब खुद दो बार सेहत मंत्री इस दीवार को बनवाने के लिए कह चुके हैं। लिहाजा, सिविल अस्पताल में न सिर्फ आए दिन चोरी की घटनाएं हो रही है, बल्कि मरीजों की सुरक्षा भी खतरे में रहती है।
वर्ष 2018 में अगस्त में ढही थी दो जगह दीवार
अगस्त 2018 में चली आंधी व बारिश की वजह से सिविल अस्पताल की मोर्चरी के पीछे की 20 फीट लंबी दीवार अचानक ढह गई थी। उस दौरान कोई घायल तो नहीं हुआ था, लेकिन इन दोनों जगह के पास खड़े करीब दो दर्जन से अधिक वाहनों को काफी नुकसान हुआ था।
दीवारें टूटी होने का फायदा उठा रहे शरारती तत्व
मोर्चरी के पीछे की दीवार टूटे होने की वजह से शरारती तत्व इसका फायदा उठा रहे हैं। अस्पताल में आए दिन किसी न किसी जगह से चोरी होने की घटनाएं सामने आती हैं। अस्पताल की चौकी में ही दो वर्षों के दौरान अस्पताल में चोरी होने की कई शिकायतें दर्ज करवाई जा चुकी हैं। चोर कभी ब्लड बैंक को निशाना बनाते हैं, तो कभी मोर्चरी व दूसरे विभाग को। इसके अतिरिक्त ओएसटी सेंटर में भी तीन बार दवाएं होने होने की घटना सामने आ चुकी है। इन घटनाओं के अतिरिक्त अस्पताल में लगे नल, वाटर कूलर के नल भी चोर ले जा चुके हैं।
अस्पताल के भीतर उगी भांग के इर्द-गिर्द रहते हैं नशेड़ी
अस्पताल के अंदर खाली जगह पर उगी भांग व झाडिय़ों के इर्द-गिर्द अकसर नशेड़ी भांग रगड़ते हुए नजर आते हैं। जब भी इन्हें कोई टोकता है, तो वह गाली-गलौच और मारपीट पर उतर आते हैं।
खतरे में मरीजों की सुरक्षा
सिविल अस्पताल की दीवार टूटी होने और पर्याप्त संख्या में सुरक्षा कर्मी न होने से मरीजों की सुरक्षा भी खतरे में रहती है। पूरे अस्पताल में इस समय छह सिक्योरिटी गार्ड हैं। तीन इमरजेंसी में और तीन मदर एंड चाइल्ड अस्पताल के भीतर। इसके अतिरिक्त ब्लड बैंक, ओएसटी सेंटर, डेंटल वार्ड, डायलिसिस वार्ड सहित मेल-फीमेल वार्ड में एक भी सिक्योरिटी गार्ड नहीं है। ऐसे में शरारती तत्व दो जगह से दीवार टूटी होने का फायदा उठाकर घटना को अंजाम देकर आसानी से भाग सकते हैं।
जानें क्या बोले एसडीओ
पीएचएससी इंजीनियंरिग विंग के एसडीओ गुरपिंदर संधू का कहना है कि उनके द्वारा दीवार बनवाने के लिए उच्चाधिकारियों को एस्टीमेट तैयार करके भेजा जा चुका है। दीवार को बनाने पर करीब पांच से छह लाख रुपये की लागत आ सकती है। विभाग के उच्चाधिकारियों की मंजूरी मिलने पर ही वह कुछ कर सकते हैं।
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