दोस्त की बात चुभ गई तो कनाडा से पंजाब लौट आए चाचा-भतीजा, फिर बदल दी गांव की तस्वीर
पंजाब के लुधियाना जिले का फुल्लेवाल राज्य के प्रगतिशील ग्रामों में शामिल है। यह हुआ है चाचा भतीजे की जोड़ी की बदौलत। गांव का इंद्रजीत सिंह सेखों कनाडा में अपना अच्छा-खासा कारोबार चला रहे थे। एक दिन गांव की हालत पर दोस्त की बात चुभी तो यहां आ गए।
लुधियाना, [राजेश शर्मा]। जिले का गांव फुल्लेवाल की हालत अभी दयनीय थी, लेकिन आज यह प्रदेश के प्रगतिशील गांवों में शुमार होता है। यह हुआ है चाचा-भतीजे की जोडी की बदाैलत। दोनों का कनाडा में अच्छा खासा कारोबार था, लेकिन गांव की हालत को लेकर एक दोस्त ने ऐसी बात कही की इंद्रजीत सिंह सेखाें काे चुभ गई और वह सारा कुछ छोड़कर गांव आ गए। इसके बाद भतीजे सन्नी सिंह सेखों भी कनाडा छोड़कर गांव आ गए। इसके बाद गांव की काया-कल्प करने में जुट गए। गांव वालों ने पहले चाचा को निर्विरोध सरपंच चुना तो बाद में भतीजे को यह जिम्मेदारी सौंंपी है।
कनाडा में ट्रांसपोर्ट का बिजनेस छोड़ आ गए गांव संवारने
इंद्रजीत सिंह सेखों विदेश की चकाचौंध व डालर की खनक छोड़ गांव को संवारने की ललक लेकर यहां लौटे तो लोगों ने उनको हाथाें-हाथ लिया और निर्विरोध सरपंच चुना। इसके बाद वह गांव को संवारने में जुट गए। इसी राह पर चलते हुए भतीजे सन्नी सेखों भी कनाडा की रंगीन जिंदगी को बाय-बाय कह गांव लौटे। अभी वह गांव के सरपंच हैं और गांव को संवारने में जुटे हैं। गांव के विकास की यात्रा में अक्सर यह हुआ कि सरकारी ग्रांट न पहुंचने पर काम बाधित हुआ तो दोनों चाचा-भतीजे ने अपने पास से लाखों रुपये खर्च कर विकास कार्य जारी रखा।
गांव में सड़कों का निर्माण कार्य चल रहा है।
गांव फुल्लावाल के इंद्रजीत सिंह सेखों व सन्नी सिंह सेखों ने कनाडा से लौट कर लिखी विकास की इबारत
इंद्रजीत सिंह सेखों 1997 से ही कनाडा आ-जा रहे थे। 2007 में उन्होंने कनाडा के बड़े शहर वैंकूवर में ट्रांसपोर्ट का अच्छा-खासा बिजनेस जमा लिया। गांव के साथियों, रिश्तेदारों से कमोबेश हररोज फोन पर बात हो ही जाती थी। इंद्रजीत वहां के शानदार सिस्टम के किस्से सुनाते तो गांव के दोस्त यहां की बदहाली व अव्यवस्था के।
एक दिन एक दोस्त ने कह दिया कि तुम्हारी तरह अगर सब पंजाबी बिगड़े हुए सिस्टम को संवारने की बजाए विदेश भाग जाएंगे तो यहां सुधार कैसे होगा। बकौल इंद्रजीत बात दिल को जंची भी और चुभी भी। इसके बाद गांव वापस आने का निर्णय कर लिया और लाैट भी आए। 2009 में पंचायत चुनाव हुए तो गांव वालों ने निर्विरोध सरपंच चुनकर उनमें विश्वास जताया।
इंद्रजीत बताते हैं कि गांव में सीवरेज की समस्या थी। माहिरों की सलाह पर इसे मुख्य सड़क से जोड़ना था। खर्च आना था पांच लाख रुपये। कोई ग्रांट नहीं मिली तो जेब से रकम खर्च कर डाली। 11 किलोमीटर की सड़कें बनवाईं और तंग गलियों को भी पक्का करवाया। गांव में लाइटें लगवाईं और लोगों के बैठने के लिए बेंच व पूरे गांव में पौधे लगाकर पर्यावरण का संदेश भी दे दिया। इंद्रजीत ने लोगों को बेहतर स्वास्थ्य के लिए भी प्रेरित किया और गांव में जिम सहित कई एक्टीविटी शुरू करवाई, ताकि युवा नशे की बजाए स्पोर्ट्स को प्राथमिकता दें।
2014 में पंचायत रिर्जव कैटेगरी में आ गई, लेकिन विकास के कार्य व गतिविधियां उन्होंने अपने स्तर पर जारी रखीं। 2019 में पंचायत चुनाव आए तो विदेश में रह रहे भतीजा सन्नी सेखों भी वापस लौट आया। उसे भी सर्वसम्मति से सरपंच चुन लिया गया। इस बार आठ किलोमीटर सड़कों का निर्माण करवाया जा चुका है। गांव के दूसरे हिस्सों में सड़क निर्माण अभी चल रहा है। यूथ क्लब के जरिए गांवों में बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ, पर्यावरण जैसे सामाजिक मसलों पर जागरूकता अभियान जोर-शोर से चलाया जा रहा है।
गांव में दो एकड़ में स्पोर्ट्स स्टेडियम बनने की प्रक्रिया लगभग फाइनल स्थिति में है। सीवरेज, पेयजल जैसी बेसिक जरूरतें लगभग पूरी कर दी गई हैं। डिस्पेंसरी का विस्तार किया जा रहा है। गांव के सरकारी स्कूल की कायाकल्प की जा चुकी है। इंद्रजीत सिंह सेखों का कहना है कि हमारा प्रयास है गांव को 'मॉडल विलेज' बनाया जाए, ताकि हर कोई विकास के लिए इसकी मिसाल दे सके।
हर वर्ष करवा रहे कबड्डी टूर्नामेंट
इंद्रजीत सेखों खुद भी कबड्डी के नामी खिलाड़ी रहे हैं। उनका मानना है कि युवाओं को नशे की गर्त से दूर रखने का सबसे सश्क्त माध्यम है कि उन्हें खेलों से जोड़ा जाए। इसके लिए उन्होंने हर वर्ष कबड्डी टूर्नामेंट करवाना शुरू कर दिया। इसके अलावा गांव में ही जिम का सामान उपलब्ध करवा दिया। युवाओं को प्रेरित करने के लिए खुद भी ओपन जिम में कसरत करनी शुरू कर दी। कबड्डी व जिम में भाग लेने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है।