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दो सौ वर्ष पुराने कुएं का होगा नवीनीकरण

जगराओं के सबसे विकसित गाव जनेतपुरा में दो सौ वर्ष पुराने कुएं का सामान व मोटरें मिली हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Jun 2018 11:38 AM (IST)Updated: Thu, 21 Jun 2018 11:38 AM (IST)
दो सौ वर्ष पुराने कुएं का होगा नवीनीकरण
दो सौ वर्ष पुराने कुएं का होगा नवीनीकरण

बिंदु उप्पल, जगराओं : सूबे के शहरों में तो पानी के स्रोतों के बहुत से साधन होते थे, लेकिन गावों में पहले पानी के मुख्य स्रोत कुएं ही होते थे। गावों की आबादी के अनुसार वहा पर कुओं की गिनती होती थी, जहा से गाव के लोग के पानी लेते थे। जगराओं के सबसे विकसित गाव जनेतपुरा में दो सौ वर्ष पुराने कुएं का सामान व मोटरें मिली हैं। गाव के प्रसिद्ध समाज सेवक दविंदर सिंह ने बताया कि गाव जनेतपुरा 1765 में बसा था और तब से गाव के लोगों का पानी का स्रोत पहला कुआं था। कुएं के पानी का उपयोग पीने, कपड़े धोने व अन्य कार्यो के लिए करते थे। गाव जनेतपुरा में तीन कुएं थे। समाज सेवक दविंदर सिंह ने बताया कि फसली चक्र के कारण जलस्तर नीचे चला गया। 1980 में इन कुओं के पानी का प्रयोग बंद हो गया था और 1990 में सभी कुएं बंद हो गए थे। कुएं के पास बैठ करते दुख-सुख करते थे साझा

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गाव के बुजुर्गो से पुराने कुओं के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि पानी के संकट ने हमारे-दुख-सुख साझा करने का माहौल ही खत्म कर दिया है। बिंदर सिंह, महिंदर सिंह, रछपाल सिंह, ,मेजर सिंह, बिकर सिंह, नायब सिंह ने बताया कि कुओं के आसपास थडे़ होते थे जहा पर गाव की महिलाएं सुबह-शाम पानी भरते समय बातें किया करती थीं।

मोटर के पानी में अब शुद्धता कहा : युवा वर्ग

गाव जनेतपुरा के युवा वर्ग जोमिलकर गाव की दशा बदल रहे हैं, ताकि उनके गाव की पहचान सूबे में रोल मॉडल के तौर पर हो जाए। मनप्रीत सिंह, रूपिंदर सिंह, राजिंदर सिंह, मनजिंदर सिंह, गुरप्रीत सिंह ,शालू कुमार का कहना है कि जमीनी पानी में शुद्धता होती थी, लेकिन मोटरों के पानी में न शुद्धता और न ही सफाई है। अब जल्द पुराने कुएं की परंपरा को जीवंत किया जाएगा : दविंदर सिंह

गाव जनेतपुरा के समाज सेवक दविंदर सिंह ने बताया कि गाव वासियों के सहयोग से गाव में पुराने कुएं के नाम पर वैसा एक गहरा कुआं बनाया जाएगा। जहा नीेचे पक्की फर्श लगाकर पानी डाला जाएगा और डोलची के द्वारा पानी निकाला जाएगा और वहीं पानी वापस कुएं में चला जाएगा। कुएं के आसपास कुर्सियां व फूल-पौधे लगाए जाएंगे।


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