सत्य साक्षात्कार एक रूप : डॉ. राजेंद्र मुनि
एसएस जैन स्थानक किचलू नगर में विराजमान राजस्थान प्रवर्तक संत डा. राजेंद्र मुनि साहित्य दिवाकर सुरेंद्र मुनि की अगुवाई में प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया।
संस, लुधियाना : एसएस जैन स्थानक किचलू नगर में विराजमान राजस्थान प्रवर्तक संत डॉ. राजेंद्र मुनि, साहित्य दिवाकर सुरेंद्र मुनि की अगुवाई में प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया।
डॉ. राजेंद्र मुनि ने कहा कि कहा कि सत्य का एक अर्थ तत्व रूप में है। तत्व का अर्थ है-वस्तु का साधारण गुण, सहज धर्म। उदाहरणार्थ जल की तरलता, अग्नि की उष्णता, पत्थर की कठोरता, इन वस्तुओं का सत्य है। वस्तुओं की इस प्रकार की विशेषता को ह्दयंगम कर लेना भी सत्य साक्षात्कार का एक रुप है। जहां सत्य तत्व रुप में है। वस्तु का सारांश, निचोड़, अथवा रहस्य तत्व है। वस्तु को उसके यथार्थ स्वरुप में देख लेना तत्व रूप में सत्य है। वस्तु का यह सहज धर्म सार्वकालिक होता है। अत: कहा जाता है, जिसका अर्थ तीनों कालों में है। वह सत्य है, वहीं सत्य है। इस अवसर पर सुरेंद्र मुनि ने कहा कि वाणी से जैसा कथन करे, वैसे ही क्रिया द्वारा आचरण करे यह वृति-प्रवृति अथवा व्यवहार के अर्थ में सत्य है। मात्र वाणी द्वारा यह कथन करना कि मैं अहिसक होगा। यही व्यावहारिक सत्य का पालन करते है। सत्य मनुष्य के लिए वरदान है, अत्यंत हितैषी है। सत्य से व्यक्ति का आभ्यंतर निर्मल और ब्रह्मा निष्कपट हो जाता है। वह एक अनुपम ज्योति से जगमगा उठता है। और सर्वप्रिय बन जाता है। धैर्य, संतोष, शील आदि सत्य के सहयोगी मित्र है। और मिथ्या, कठोर, कटु चपल, वचन, लोभ इसके शत्रु है जो इसे पनपने नहीं देते। जैन मुनि ने कहा कि सत्य सत्य होता है यह कभी पराजित नहीं होता।