महंगे हो रहे पेट्रो उत्पाद से ट्रांसपोर्टर्स मुश्किल में
ट्रांसपोर्टरों एवं किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने पेट्रो उत्पादों को जीएसटी के तहत लाकर इनकी कीमतों को नियंत्रित नहीं किया तो मजबूरन संघर्ष का रास्ता अख्तियार करना पड़ेगा।
जागरण संवाददाता, लुधियाना : पेट्रोल एवं डीजल की कीमतों में लगातार हो रहे इजाफे से आम आदमी परेशान हैं, वहीं ट्रांसपोर्टर्स एवं किसान भी मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं और संघर्ष के लिए रणनीति बनाने में जुट गए हैं। ट्रांसपोर्टरों एवं किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने पेट्रो उत्पादों को जीएसटी के तहत लाकर इनकी कीमतों को नियंत्रित नहीं किया तो मजबूरन संघर्ष का रास्ता अख्तियार करना पड़ेगा।
काबिलेजिक्र है कि 22 जून 2016 को डीजल के दाम 48.34 रुपये प्रति लीटर थे, जोकि अब बढ़कर 71.38 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गए हैं। साफ है कि पिछले 25 माह के दौरान डीजल की कीमतों में 23.04 रुपये यानि करीब 45 फीसद का उछाल आया है। इसी तर्ज पर पेट्रोल के दाम भी लगातार उछल रहे हैं। शहर में आज पेट्रोल का दाम 84.90 रुपये प्रति लीटर रहा। डीजल की बढ़ रही कीमतों के कारण ट्रांसपोर्टर बेहाल हैं। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष चरण सिंह लोहारा ने कहा कि अब कारोबार करना मुश्किल हो रहा है। बीस जुलाई से अनिश्चितकाल के लिए हड़ताल की थी, यह आठ दिन तक चली। सरकार के साथ समझौता हुआ, अभी तक उस पर अमल नहीं हो पाया। साफ है कि अब फिर से संघर्ष का रास्ता अख्तियार करना होगा।
पंजाब स्टेट गुड्स ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के पूर्व महासचिव एवं नवभारत ट्रांसपोर्ट के संचालक सर्बजीत सिंह ने कहा कि डीजल के बढ़े रेट के अनुसार माल भाड़ा नहीं बढ़ पा रहा है। डीजल के रेट रोज बढ़ रहे हैं। बाजार में आर्थिक सुस्ती के कारण किराए ज्यों के त्यों हैं। नतीजतन मार्जेन पर दबाव आ रहा है। अब ट्रांसपोर्ट कारोबार घाटे का सौदा बन रहा है। उधर, भारतीय किसान यूनियन के प्रधान बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि सूबे में 30 फीसद सिंचाई डीजल की मोटर से होती है। उन किसानों के लिए मौजूदा वक्त काफी संकट से भरा है। उनकी लागत लगातार बढ़ रही है। पिछले दिनों भी यूनियन ने ट्रैक्टर खड़े करके आंदोलन किया था, अब फिर से संघर्ष की रणनीति बनाई जाएगी।