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मौसम में आ रहे बदलाव को गंभीरता से लेने की जरूरत : डा. गिल

पीएयू में खेतीबाड़ी में मौसमी तब्दीलियों प्रभावों व मूल्यांकन पर आयोजित तीन दिवसीय आनलाइन राष्ट्रीय ट्रेनिग प्रोग्राम बुधवार को समाप्त हो गया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 06 Jan 2021 10:24 PM (IST)Updated: Wed, 06 Jan 2021 10:24 PM (IST)
मौसम में आ रहे बदलाव को गंभीरता से लेने की जरूरत : डा. गिल
मौसम में आ रहे बदलाव को गंभीरता से लेने की जरूरत : डा. गिल

जागरण संवाददाता, लुधियाना : पीएयू में खेतीबाड़ी में मौसमी तब्दीलियों, प्रभावों व मूल्यांकन पर आयोजित तीन दिवसीय आनलाइन राष्ट्रीय ट्रेनिग प्रोग्राम बुधवार को समाप्त हो गया। यह ट्रेनिग प्रोग्राम पीएयू और साइंस एंड इंजीनियरिग बोर्ड नई दिल्ली द्वारा संयुक्त रूप से करवाया गया था। ट्रेनिग प्रोग्राम के आखिरी दिन मुख्य मेहमान के तौर पर पीएयू के बागवानी कालेज के डीन डा. एमआइएस गिल शामिल हुए। उन्होंने तेजी से बदल रहे मौसम और इसके खेतीबाड़ी पर पड़ रहे बुरे प्रभावों पर मौजूदा दृष्टिकोण का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अब बहुत जरूरी हो गया है कि मौसमी बदलावों को गंभीरता से लिया जाए, क्योंकि मौसमी बदलावों का आने वाले समय में बहुत गहरा प्रभाव पड़ेगा। इस तरह के राष्ट्रीय ट्रेनिग प्रोग्राम मौसमी बदलावों पर नजर रखने के लिए बेहद जरूरी है।

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गेस्ट आफ आनर आइएमडी नई दिल्ली के डीजीएम डा. एसडी अत्री ने मौसमी बदलावों पर विस्तार से जानकारी दी और यूनिवर्सिटी के इस प्रयास की सराहना की। साइंस एंड इंजीनियरिग बोर्ड से डा. शिल्पी पौल ने कहा कि यह ट्रेनिग प्रोग्राम खेतीबाड़ी पर मौसमी तब्दीली के बुरे प्रभावों को घटाने के लिए संवेदना के स्तर और प्रेरणा का सुबूत है।

पीएयू के मौसम विभाग की प्रमुख डा. प्रभजोत कौर सिद्धू ने तीन दिनों के इस ट्रेनिग प्रोग्राम के अलग अलग तकनीकी सेशन के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि तीन तकनीकी सेशन में भू-जीव विज्ञान की तकनीकों का प्रयोग करके खेतीबाड़ी में मौसम के जोखिम की मैपिग व प्रबंधन, मौसम में तबदीली के अनुमानों, खेतीबाड़ी में जीआइएस के प्रयोग और रिमोट सेंसिग व प्रबंधन, फसल के माडलिग, हरी खेती की संभावनाओं सहित अन्य विषयों पर चर्चा की गई।


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