बॉडी कैमरे से निगरानी की योजना एक साल में ही फुस्स
ट्रैफिक पुलिस कर्मियों से दुर्व्यवहार करने वालों पर नकेल कसने के लिए चलाई गई बॉडी कैमरे की योजना 11 माह में ही फुस्स हो गई।
दिलबाग दानिश, लुधियाना
ट्रैफिक पुलिस कर्मियों से दुर्व्यवहार करने वालों पर नकेल कसने के लिए चलाई गई बॉडी कैमरे की योजना 11 माह में ही फुस्स हो गई। कर्मचारियों ने बॉडी कैमरे को खुद ही नकार दिया। कर्मचारियों द्वारा नाकारने पर इन्हें जोन के इंचार्जो को थमा दिया गया, जिनका इस्तेमाल उनके पास भी नहीं है। साफ है कि पुलिस की ओर से चलाई गई यह योजना सिर्फ हो-हल्ला की भेंट चढ़ गई। 90 हजार के 5 कैमरे फायदा कुछ भी नहीं
मई 2017 में करीबन 90 हजार के पांच कैमरे ट्रैफिक पुलिस को ट्रायल के तौर पर मुहैया करवाए गए थे। एक कैमरे की कीमत 18 हजार रुपये बताई गई थी और कहा गया था कि इसका 16 मेगाफिक्सल का कैमरा बेहद साफ वीडियो देगा। कैमरा एक बार चार्ज करने पर लगातार 26 घंटे तक काम करेगा। दावा किया गया था कि इससे पुलिस को भरपूर फायदा मिलेगा। क्योंकि अकसर शिकायत रहती थी कि गाडि़यों के ड्राइवर अकसर चलान कटवाने के समय पुलिस से मिसबिहेव करते हैं। इस कारण फेल हुए कैमरे
एक पुलिस कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह कैमरा डिवाइस काफी भारी है। जेब पर लगाना मुश्किल होता था। वीडियो सही से नहीं बनती थी, मेमोरी भी ज्यादा नहीं थी। इसके अलावा पुलिस कर्मी के पास पहले से वायरलेस सेट, दो चलान बुक आदि होती है, इसके अलावा यह तीसरी डिवाइस उन्हें पसंद नहीं आई है। इससे बेहतर तो मोबाइल कैमरे काम कर देते हैं। बॉडी कैमरे जोन इंचार्जो के पास
यह कैमरे चौक चौराहों पर उन कर्मचारियों को देने की योजना थी जो चलान काटते थे, लेकिन यह कैमरे अब पांच जोन इंचार्जो के पास हैं, जिनका काम उनके अधीन काम करने वाले मुलाजिमों का ध्यान रखना या फिर एमरजेंसी के समय काम करना है। जोन इंचार्जो के पास हैं कैमरे, इस्तेमाल भी हो रहा : डीसीपी
करीबन एक साल पहले पांच कैमरे हमें मुहैया करवाए गए थे, जिन्हें हर चौराहे पर तो नहीं दिया जा सकता था, इसलिए जोन इंचार्जो को दिया गया है। हम इनका इस्तेमाल कर रहे हैं, अगर यह कैमरे और मिलते हैं तो इन्हें चौराहों पर तैनात मुलाजिमों को दिया जाएगा। इस्तेमाल संबंधी मना करने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। आदेश आने पर सभी को इसका इस्तेमाल करना होगा।
सुखपाल सिंह बराड़, डीसीपी ट्रैफिक