फर्जी दस्तावेज व मृत व्यक्ति के नाम लिया लोन, दोषियों को 3-3 साल की कैद Ludhiana News
ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के मैनेजर सुरेंद्र कुमार की शिकायत पर पुलिस थाना दाखा में तीन जून 2014 को मामला दर्ज किया गया था।
लुधियाना, जेएनएन। ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट अंकित ऐरी की अदालत ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बैंक से लोन की लिमिट लेने के आरोप में गांव सहोली निवासी गुरजीत सिंह और सदर जगराओं निवासी राजीव कुमार को 3-3 वर्ष कैद की सजा सुनाई है। दोषियों को 10-10 हजार रुपये जुर्माना भरने का भी आदेश दिया है। ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के मैनेजर सुरेंद्र कुमार की शिकायत पर पुलिस थाना दाखा में तीन जून 2014 को मामला दर्ज किया गया था।
शिकायतकर्ता के मुताबिक आरोपित गुरजीत सिंह ने उनके बैंक से करीब 11,50,000 लोन लिमिट के लिए अप्लाई किया था व गुरजीत ने लिमिट की गारंटी के लिए महिंदर पाल की जमीन बैंक को रजिस्ट्री रखकर दी थी। गुरजीत ने राजीव को महेंद्र पाल बनाकर बैंक में पेश किया और जाली दस्तावेजों व फर्जी आदमी खड़ा कर उसने बैंक से लोन ले लिया। बैंक ने जांच की तो पता चला कि महेंद्र पाल की तो मृत्यु हो चुकी है। अदालत में दोनों आरोपितों ने खुद को बेकसूर बताया और गुरजीत ने कहा कि उसने बैंक का लोन चुकता कर दिया है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और सबूतों को देखने के बाद अदालत ने तीन-तीन साल की कैद सुनाई।
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कनाडा का जाली वीजा थमा एजेंट ने युवती से ठगे 20 लाख
कनाडा भेजने के नाम पर ट्रैवल एजेंट ने धोखे से एक युवती से 20 लाख रुपये ले लिए। पैसे लेने के बाद आरोपित ने उसे कनाडा का जाली वीजा थमा दिया। जब युवती ने आरोपित से संपर्क किया तो उसने पैसे देने से मना कर दिया। शिकायत की जांच के बाद थाना साहनेवाल पुलिस ने गांव मंगली नीची निवासी पुष्पिंदर कौर की शिकायत पर कुलदीप सिंह के खिलाफ मामला दर्ज कर दिया। शिकायतकर्ता पुष्पिंदर सिंह के मुताबिक उसका फेसबुक पर आरोपित कुलदीप सिंह के साथ संपर्क हो गया। कुलदीप ने उसे कनाडा भेजने के झांसे में फंसा लिया। इसके बाद कुलदीप ने पुष्पिंदर कौर को कनाडा का वीजा दिलवाने की बात की और उसका पासपोर्ट ले लिया। कुलदीप ने वीजा देने के लिए उसे इंडोनेशिया बुलाया। वहां कुलदीप के एक कारिंदे ने पुष्पिंदर से मुलाकात के दौरान खाते में 20 लाख रुपये डलवाए और पासपोर्ट दे दिया। पुष्पिंदर ने जब भारत आकर वीजा चेक करवाया तो वह जाली निकला। उसने कुलदीप से संपर्क कर यह बात बताई और पैसे वापस मांगे, लेकिन आरोपित ने ऐसा नहीं किया।
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